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30 लाख लोगों तक स्वामी विवेकानंद की शिक्षा पहुंचाने के लिए चलेगा अभियान

भारत के आखिरी छोर पर स्थित कन्याकुमारी में समुद्र की जिस शिला पर बैठकर तीन दिनों तक स्वामी विवेकानंद ने तपस्या की थी, वहां उनकी याद में बने विवेकानंद केंद्र का 50 साल पूरा होने जा रहा है. ऐसे में कश्मीर से कन्याकुमारी तक केंद्र के 20 हजार कार्यकर्ता 30 लाख लोगों तक विवेकानंद की शिक्षाएं पहुंचाएगे. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से 2 सितंबर को संपर्क के साथ इस राष्ट्रव्यापी अभियान का शुभारंभ होगा.

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स्वामी विवेकानंद की शिक्षा देश भर में फैलाने के लिए चलेगा अभियान.
स्वामी विवेकानंद की शिक्षा देश भर में फैलाने के लिए चलेगा अभियान.

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देश की जनता तक विवेकानंद की शिक्षाओं को पहुंचाने के लिए बड़ी योजना बनी है. राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से लेकर राज्यों के राज्यपाल तथा मुख्यमंत्रियों से संपर्क करते हुए 30 लाख लोगों से जनसंपर्क होगा. विवेकानंद केंद्र ने यह योजना तैयार की है.

कन्याकुमारी में विवेकानन्द शिला स्मारक के 50वां वर्ष पूरा होने पर विवेकानन्द केन्द्र ‘एक भारत विजयी भारत’ के तहत राष्ट्र-व्यापी महासम्पर्क का काम 2 सितम्बर से शुरू हुआ है. विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी की उपाध्यक्ष निवेदिता भिड़े के अनुसार, विवेकानन्द केन्द्र के अखिल भारतीय अधिकारियों की ओर से राष्ट्रपति से संपर्क कर इस अभियान का शुभारंभ होगा.

उसके बाद सभी राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्रियों सहित समाज के विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख लोगो से संपर्क कर उन्हें स्वामी स्वामी विवेकानन्द के विचार संदेशों, विवेकानन्द शिला स्मारक की प्रेरणादायी गाथा और विवेकानन्द केन्द्र की गतिविधियों से अवगत कराया जायेगा. उन्होंने बताया कि यह अभियान 2 सितंबर 2019 से शुरू होकर वर्ष भर चलेगा. केंद्र के 1000 से अधिक प्रकल्पों से जुड़े हुए 20 हजार से अधिक कार्यकर्ता समाज के विभिन्न वर्ग के लोगों के बीच जाकर उनसे संपर्क करेंगे. 

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कम से कम 30 लाख लोगों से संपर्क का लक्ष्य रखा गया है. संपर्क कार्यक्रम के समापन के बाद दिल्ली या कन्याकुमारी में एक बड़ा कार्यक्रम होगा. विवेकानंद केंद्र कन्याकुमारी के उपाध्यक्ष वी बालाकृष्ण, महासचिव भानुदास धाक्रस, संयुक्त महासचिव रेखा दवे, संयुक्त महासचिव किशोर टोकेकर ने नई दिल्ली स्थित विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन में पूरे कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी.

जिस शिला पर बैठ विवेकानंद ने ध्यान किया, वहां बना है मेमोरियल

स्वामी विवेकानन्द ने 25, 26 एवं 27 दिसम्बर 1892 को कन्याकुमारी में समुद्र में स्थित देश की अंतिम शिला पर बैठकर ध्यान किया था. उस शिला पर ध्यान कर उन्होंने जीवन के ध्येय को प्राप्त किया था और निर्णय लिया कि वे भारत के खोए हुए गौरव को पुनः वापस लाने के लिये कार्य करेंगे. वहां विवेकानंद रॉक मेमोरियल बना है.

1963 में स्वामी विवेकानन्द की जन्म शताब्दी मनाने के दौरान उनकी याद में स्मारक बनाने का फैसला हुआ. उस स्मारक के निर्माण के 50 साल पूरा होने पर एक भारत-श्रेष्ठ भारत अभियान के तहत राष्ट्रव्यापी जनसंपर्क की योजना बनाई गई. इस स्मारक की विशेषता यह है कि यह देश में निर्मित पहला स्मारक है जिसमें उस काल के दिल्ली में उपस्थित 323 सांसदों ने दलगत सीमाओं को तोड़ते हुए निर्माण में सहयोग किया था.

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खास बात है कि विवेकानंद स्मारक का निर्माण तब जनता ने एक-एक रुपये दान देकर 85 लाख रुपये से कराया था. 1964-70 के बीच सभी राज्यों की सरकारों ने एक लाख और केंद्र सरकार ने 15 लाख का योगदान दिया था. स्मारक की एक और विशेषता है कि इसमें अजंता, एलोरा, पल्लव, चोला, बेलूर मठ और अनेक सुन्दर और अद्वितीय शिल्प कलाकृतियों का संगम है.

इस वक्त देश के 1005 स्थानों पर विवेकानन्द केन्द्र का सेवा कार्य चल रहा है. 2 सितंबर 1070 से गतिशील हुआ विवेकानंद केंद्र योग, शिक्षा, ग्रामीण विकास, युवा विकास, बच्चों के सर्वांगीण विकास, नैसर्गिक संसाधनों के विकास, ग्रामीण एवं जनजाति क्षेत्र में सांस्कृतिक शोधकार्य, प्रकाशन आदि कार्य कर रहा है. भारत सरकार की ओर से वर्ष 2015 में केंद्र को गांधी शांति पुरस्कार दिा गया.

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