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सियासत में आना नहीं चाहते हैं वीके सिंह

सेना में वित्तीय व 'अन्‍य गड़बडि़यों' की ओर पूरे देश का ध्‍यान खींचने वाले पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह सियासत की दुनिया में कदम रखना नहीं चाहते हैं. वीके सिंह भ्रष्‍टाचार के खिलाफ अभियान से जुड़े हुए हैं.

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वीके सिंह
वीके सिंह

सेना में वित्तीय व 'अन्‍य गड़बडि़यों' की ओर पूरे देश का ध्‍यान खींचने वाले पूर्व आर्मी चीफ वीके सिंह सियासत की दुनिया में कदम रखना नहीं चाहते हैं. वीके सिंह भ्रष्‍टाचार के खिलाफ अभियान से जुड़े हुए हैं.

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वीके सिंह ने फिलहाल राजनीति में आने के प्रति अनिच्छा जताई है, क्योंकि उन्हें लगता है कि वर्तमान व्यवस्था ऐसी है, जिसमें अच्छे लोग शायद प्रवेश नहीं कर सकते. वीके सिंह ने एक टीवी कार्यक्रम में कहा, ‘मेरा एक छोटा-सा मिशन है री-क्लेम इंडिया. मैं लोगों को जागरूक करना चाहता हूं. इसके अलावा वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था ऐसी है कि शायद अच्छे लोग राजनीति में प्रवेश नहीं कर सकते. इसका मतलब यह नहीं है कि जो लोग राजनीति में हैं वह सभी बुरे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘इस देश ने मुझे मेरे जीवन के बेहतरीन 42 साल दिए हैं और मैं अब देश को कुछ लौटाना चाहता हूं.’ सेवानिवृत्त जनरल ने कहा कि अच्छे राजनीतिज्ञ में तीन गुण होने चाहिए उसकी छवि अच्छी हो और कोई आपराधिक मामला लंबित न हो, वह क्षमतावान हो, वह देश और समाज की सेवा करने के लिए प्रेरित हो.

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इनेलोद प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला भ्रष्टाचार के जुर्म में इन दिनों जेल में हैं. यह पूछे जाने पर कि वीके सिंह ने चौटाला के साथ एक रैली में क्यों भाग लिया था, उन्होंने कहा कि उन्होंने चौटाला के पिता चौधरी देवीलाल की जयंती मनाने के लिए ऐसा किया था.

वीके सिंह ने कहा, ‘चौधरी देवीलाल जी ने हरियाणा में बहुत पहले वृद्धावस्था पेन्शन शुरू की थी. अन्य राज्यों ने बहुत बाद में की. उन्होंने गरीबों को साइकिल खरीदने पर कर में छूट भी दी थी. अगर रैली में चौटाला अपने पिता की जयंती की वजह से थे तो मैं उन्हें बाहर नहीं कर सकता था.’ उन्होंने यह भी कहा कि उनकी महत्वाकांक्षा राज्यपाल या राजदूत बनने की नहीं है.

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