नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने कार मैन्युफैक्चरिंग कंपनी फॉक्सवैगन को शुक्रवार शाम 5 बजे तक 100 करोड़ रुपये का जुर्माना केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Central Pollution Control Board) के पास जमा कराने का आदेश दिया है. एनजीटी ने सख्त लहजे में कहा कि अगर यह रकम शुक्रवार तक फॉक्सवैगन कंपनी ने नहीं जमा कराई, तो कंपनी के एमडी को गिरफ्तार किया जाएगा.
फॉक्सवैगन कंपनी से ये जुर्माना इसलिए वसूला जा रही है, क्योंकि कार बनाने वाली इस कंपनी ने डीजल वाहनों में कार्बन उत्सर्जन कम दिखाने के लिए हेर-फेर करने वाली डिवाइस लगा दी थी. इस गड़बड़ी के कारण सड़कों पर चलती फॉक्सवैगन की गाड़ियों ने पर्यावरण में प्रदूषण फैलाया और उन नियमों का पालन नहीं किया, जो प्रदूषण को रोकने के लिए कार निर्माता कंपनी को करना अनिवार्य होता है.
इस मामले के सामने आने के बाद NGT ने जांच के लिए एक कमेटी बनाई थी, जिसने पर्यावरण को हुए नुकसान का आकलन किया था. कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद एनजीटी ने फॉक्सवैगन कंपनी पर 171 करोड़ का जुर्माना लगाया था. हालांकि, इस जुर्माने को भरने के बजाय फॉक्सवैगन कंपनी ने एनजीटी के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी, लेकिन मामले में शीर्ष अदालत ने कंपनी को राहत देने से इनकार कर दिया था. सर्वोच्च अदालत ने जुर्माने की रकम को भरने को लेकर कंपनी को कोई स्टे नहीं दिया और मामले की सुनवाई के लिए 21 जनवरी की तारीख तय कर दी.
इसके बाद गुरुवार को एनजीटी ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कंपनी को निर्देश दिया कि वह 100 करोड़ रुपये की रकम या तो शुक्रवार शाम 5 बजे तक जमा कराए या फिर गंभीर नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहे. अगर कंपनी ने एनजीटी के आदेशों का पालन करते हुए गुरुवार तक 100 करोड़ रुपये की रकम नहीं चुकाई, तो कंपनी के एमडी की गिरफ्तारी से लेकर भारत में फॉक्सवैगन कंपनी की संपत्तियों को जब्त करने तक की कार्रवाई की जा सकती है.
फॉक्सवैगन कंपनी ने पहली बार साल 2015 में माना था कि उसने साल 2008 से साल 2015 के बीच दुनियाभर में बेची गई एक करोड़ 11 लाख गाड़ियों में 'डिफीट डिवाइस' लगाई थी. इस डिवाइस की खासियत ये है कि यह लैब परीक्षण के दौरान फॉक्सवैगन तारों को पर्यावरण के मानकों पर खरा साबित कर देती थी, जबकि सच्चाई ये थी कि फॉक्सवैगन कार नाइट्रिक ऑक्साइड गैस का उत्सर्जन ज्यादा कर रही थीं. यह उत्सर्जन यूरोपीय मानकों से चार गुना अधिक था.
फॉक्सवैगन को इस हेर-फेर के कारण अब तक अलग-अलग जगहों पर अरबों रुपये का जुर्माना देना पड़ा है. कंपनी सिर्फ जर्मनी में ही करीब 8,300 करोड़ रुपये का जुर्माना भर चुकी है. साथ ही कंपनी के कुछ शीर्ष अधिकारियों को इस मामले में जेल भी हो चुकी है. अब भारत में भी फॉक्सवैगन कंपनी की मुश्किल बढ़ गई है.