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देश की आंतरिक सुरक्षा से निपटने में वोट बैंक की राजनीति सबसे बड़ी बाधा: आडवाणी

पूर्व उपप्रधानमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि देश की आतंरिक सुरक्षा से निपटने में सबसे बड़ी बाधा वोट बैंक की राजनीति है.

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पूर्व उपप्रधानमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा है कि देश की आतंरिक सुरक्षा से निपटने में सबसे बड़ी बाधा वोट बैंक की राजनीति है.

आडवाणी ने कल रात यहां पूर्व विधान सभा अध्यक्ष प्रो. बृजमोहन मिश्र की स्मृति में आयोजित ताप्ती श्रवण मेला में देश की सुरक्षा के लिये चुनौतियां विषय पर आयोजित संगोष्ठी में आतंकी हमलें की जड़ में कश्मीर का मुद्दा अहम बताते हुए कहा कि इस मुद्दे पर कई भूलें भारत ने की है, अन्यथा आजादी के समय देश की 354 रियासतों के विलय के समय जम्मू कश्मीर को अलग नही छोड़ा जाता तो यह संकट बन कर कभी सामने नहीं होता.

उन्होंने कहा कि यह जरुरी है कि कश्मीर समस्या को लेकर ढुलमुल बयान देने की बजाय संकल्पित होकर सख्त रवैया रखा जाये. उन्होंने आतंकवाद, नक्सलवाद और बांग्लादेश की घुसपैठ की समस्या को देश की सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि नक्सलवाद तो देश के लोकतंत्र के लिए खतरा बन चुका है.

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आडवाणी ने कहा कि 354 रियसतों के साथ जम्मू कश्मीर रियासत का भारत में एक साथ विलय हो जाता तो कश्मीर समस्या पैदा ही नहीं होती .

आडवाणी ने जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के इस बयान को सिरे से खारिज किया कि जम्मू कश्मीर का भारत में विलय नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर भारत का अविभाज्य अंग है. उन्होंने जम्मू कश्मीर में प्रभावी धारा 370 को समाप्त किये जाने पर भी जोर दिया.
आडवाणी ने कहा कि आजादी के बाद के पहले 30 वर्षों में भारत को चार युद्ध लड़ना पड़ा. 1962 में चीन और 1947 ,1965, 1971 में पाकिस्तान ने आक्रमण किया. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को 1971 के युद्ध में ऐतिहासिक हार का सामना करना पड़ा और इन मुद्दों में हार से सीख लेकर उसने अपनी रणनीति बदल ली है कि आक्रमण कर वह भारत पर जीत दर्ज नहीं कर सकता . ऐसे में वह भारत की आंतरिक सुरक्षा में घुसपैठ कर आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है.

उन्होंने कहा कि 9.11 को मुंबई में हुए हमले से अधिक घातक 12 दिसम्बर 2009 को संसद पर किया गया आतंकी हमला होता, लेकिन सुरक्षा बलों के जवानों ने अपनी जान पर खेलकर इसे नाकाम कर दिया .

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आडवाणी ने कहा कि रियासत के विलीनीकरण और उसके बाद शिमला और ताशकंद समझौते के दौरान जो भूलें हुई हैं उसकी पुनरावृत्ति फिर से नहीं होनी चाहिए एवं कश्मीर मसले पर सख्त रवैया अपनाया जाना चाहिए .

आडवाणी ने कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठियों की समस्या पूर्वोत्तर राज्यों तक सीमित नहीं होकर पूरे देश की समस्या हो गयी है. उन्होंने कहा कि मात्र वोट बैंक के खातिर इसे प्रोत्साहित किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. तुष्टिकरण की नीति का त्याग, देश की सुरक्षा के लिए अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि सरकार को घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें बैरंग लौटाना चाहिये.

देश में बढती नक्सली वारदातों की चर्चा करते हुए आडवाणी ने कहा कि नक्सलवादी देश में समानांतर सरकार बनाकर अधिकार प्राप्त करना चाहते हैं जो कि देश के लोकतंत्र के लिये बड़ा खतरा है. उन्होंने नक्सलवादी समस्या में गरीबी और शोषण की अहमियत को नकारते हुए कहा कि नक्सलवाद विकास विरोधी है. नक्सलवादियों का यह स्प्ष्ट कहना है कि लोकतांत्रिक प्रणाली में क्षेत्रीय विकास संभव नहीं है.

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