विपक्ष के लगातार विरोध के बावजूद सोमवार को लोकसभा में भूमि अधिग्रहण बिल पास हो गया है. लोकसभा में इस बिल को पास कराने में केंद्र सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा था. केंद्र सरकार ने विपक्ष के विरोध के बाद इस बिल में कुल नौ संशोधन किए तब जाकर इसे लोकसभा में पेश किया गया. वोटिंग के दौरान विपक्ष ने सदन से वॉक आउट कर दिया.
हालांकि मोदी सरकार की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुईं हैं. अब इस बिल को राज्यसभा में पेश किया जाएगा जहां NDA को बहुमत नहीं है. लिहाजा केंद्र सरकार को डर है कि ये बिल राज्यसभा में फंस सकता है.
इससे पहले सरकार द्वारा किए गए संशोधनों में किसानों को अपील के अधिकार के साथ विस्थापित परिवार के एक सदस्य को नौकरी का प्रवधान दिया गया है.
भूमि अधिग्रहण बिल में किए गए नए संशोधनों के मुताबिक:
- सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट की मंजूरी जरूरी होगी.
- किसानों की बहुफसली जमीन नहीं ली जाएगी.
- किसानों को अपील का अधिकार.
- परिवार के एक सदस्य को नौकरी.
- इंडस्ट्रियल कॉरिडॉर के लिए सीमित जमीन का प्रावधान.
- संशोधन के बाद रेलवे ट्रैक के दोनों तरफ 1-1 किमी की जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा.
- हाईवे के दोनों तरफ 1-1 किमी की जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा.
- बंजर जमीनों का अलग से रिकॉर्ड रखा जाएगा.
बिल में संशोधन के बाद बीजेपी की सहयोगी पार्टियां बिल का समर्थन करने के लिए तैयार हैं, लेकिन विपक्ष अब भी विरोध पर अड़ा है. भूमि अधिग्रहण बिल मोदी सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो रहा है. लोकसभा में बिल पास होने के बाद राज्यसभा में कैसे पास होगा ये बड़ा सवाल बना हुआ है. नीतीश कुमार, मायावती से लेकर मुलायम सिंह यादव भी इस बिल का कड़ा विरोध कर रहे हैं.