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बसपा साफ, सपा धूमिल, जेडीयू निराश तो लोजपा प्रसन्न

केन्द्र की सरकार का समर्थन हो या फिर उसे गिरने से बचाना हो, कभी बहुत ताकतवर रहे सपा और बसपा जहां उत्तर प्रदेश में हाशिये पर आ गये हैं, वहीं जेडीयू, राजद और राष्ट्रीय लोकदल की स्थिति भी अच्छी नहीं है.

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केन्द्र की सरकार का समर्थन हो या फिर उसे गिरने से बचाना हो, कभी बहुत ताकतवर रहे सपा और बसपा जहां उत्तर प्रदेश में हाशिये पर आ गये हैं, वहीं जेडीयू, राजद और राष्ट्रीय लोकदल की स्थिति भी अच्छी नहीं है. हालांकि बीजेपी का दामन थामने वाले राम विलास पासवान की लोजपा का प्रदर्शन दमदार रहा है जबकि ओडिशा में चिर परिचित बीजद ने भी दमदार नतीजे दिये हैं.

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यूपीए 1 के समय ‘ड्राइविंग सीट’ पर रही राजद ने 24 सीटें हासिल की थीं और राजद प्रमुख लालू प्रसाद रेल मंत्री थे. उनकी पार्टी के कई अन्य सांसद भी मंत्री बने लेकिन 2009 के चुनावी नतीजों में राजद मात्र तीन सीट पर सिमट कर रह गई और 2014 के चुनावों में अच्छे प्रदर्शन की भविष्यवाणियों के बावजूद राजद चार सीटों से आगे नहीं बढ़ पाई. राजद ने हालांकि 1996 और 1998 के चुनावों में क्रमश 14 और 16 सीटें हासिल की थीं.

नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू ने 1999 और 2004 के चुनावों में 18-18 सीटें हासिल कीं तो 2009 में 19 सीटें जीतने में कामयाब रही. बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ने के बाद 2014 के आम चुनाव में अकेले दम पर चुनाव लड़ी जेडीयू को महज 2 सीटों से संतोष करना पड़ा.

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चुनाव आयोग के आंकड़ों पर नजर डालें तो पाएंगे कि अपने दम पर 282 सीटें जीतने वाली बीजेपी को 31 फीसदी वोट हिस्सेदारी मिली और उसे 17.16 करोड़ मत मिले. कांग्रेस 19.3 फीसदी वोट हिस्सेदारी के साथ 44 सीटों पर सिमट गई. बसपा की वोट हिस्सेदारी 4.1 फीसदी थी लेकिन वह खाता भी नहीं खोल पाई. सपा की वोट हिस्सेदारी 3.4 फीसदी रही और वह पांच सीटें जीत पाई. उधर ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस 3.8 फीसदी वोट हिस्सेदारी के साथ 34 सीटें जीतने में कामयाब रही.

तमिलनाडु में जयललिता के नेतृत्व वाली अन्नाद्रमुक 37 सीटें जीती है. उसकी वोट हिस्सेदारी 3.3 फीसदी है. माकपा की वोट हिस्सेदारी भी 3.3 फीसदी रही लेकिन वह केवल नौ सीटें जीत सकी.

उत्तर प्रदेश में अजीत सिंह बागपत से चुनाव हार गये हैं. उनकी पार्टी रालोद का हाल भी वही रहा जो बसपा का है. वह भी खाता नहीं खोल पाई. ओडिशा की बात करें तो बीजद को इस बार 20 सीटें मिली हैं. पिछले चुनाव में उसने 14 सीटें जीती थीं और 2004 के चुनाव में 11 सीटों पर उसके उम्मीदवार विजयी रही थे. बसपा, भाकपा, द्रमुक और नेशनल कांफ्रेंस सहित 1650 से अधिक पार्टियां भी खाता नहीं खोल सकीं.

देश में इस समय 1687 पंजीकृत राजनीतिक दल हैं. इस बार के चुनाव में 8200 से अधिक उम्मीदवार मैदान में उतरे. पार्टियों ने 5007 उम्मीदवार उतारे जबकि बाकी उम्मीदवार निर्दलीय लड़ें. चुनाव में केवल तीन निर्दलीय ही इस बार जीत पाए.

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