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शि‍वराज के इस्तीफे की मांग पर विपक्ष एकजुट, बचाव में बीजेपी

व्यापम घोटाले में रोजाना मौत के बढ़ते मामलों के बीच मध्य प्रदेश में विपक्ष ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बर्खास्त करने की मांग तेज कर दी है. लेकिन बीजेपी ने अपने नेता का बचाव किया है और सीबीआई जांच का आदेश दिए जाने की बात को खारिज कर दिया.

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शि‍वराज सिंह चौहान की फाइल फोटो
शि‍वराज सिंह चौहान की फाइल फोटो

व्यापम घोटाले में रोजाना मौत के बढ़ते मामलों के बीच मध्य प्रदेश में विपक्ष ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को बर्खास्त करने की मांग तेज कर दी है. लेकिन बीजेपी ने अपने नेता का बचाव किया है और सीबीआई जांच का आदेश दिए जाने की बात को खारिज कर दिया.

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कांग्रेस, वाम दलों और आम आदमी पार्टी ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी घेरते हुए उन पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'शिवराज सिंह चौहान को बर्खास्त किया जाना चाहिए और व्यापम घोटाले में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने इस बात पर जोर दिया कि मध्य प्रदेश सरकार को अगली अप्राकृतिक मौत से पहले सीबीआई जांच का आदेश देना चाहिए.

कांग्रेस प्रवक्ता पीसी चाको ने कहा, 'मुख्यमंत्री को नहीं बख्शा जा सकता. उन्हें जिम्मेदारी लेनी चाहिए. देश में जो हो रहा है उस पर प्रधानमंत्री को स्पष्टीकरण देना चाहिए और इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए.'

मानसूत्र सत्र में व्यापम पर बवाल तय
इस बीच, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस आगामी मानसून सत्र के दौरान संसद में व्यापम भर्ती घोटाले का मुद्दा उठाएगी. तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने कोलकाता में कहा, 'यह महज कानून-व्यवस्था का मुद्दा नहीं है. यह उससे कहीं बड़ा है. इतनी अधिक हत्याएं हुई हैं. कई लोग शामिल हैं. ये नृशंस हत्याएं हैं.'

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संसद के आगामी सत्र में जहां एक ओर सरकार जीएसटी समेत कई बिलों को पास करना चाहेगी, वहीं व्यापम पर विपक्ष का जोर गले की हड्डी साबित हो सकता है. हालांकि घोटाले की सीबीआई जांच की मुखर हो रही मांग के बीच बीजेपी ने कहा कि वह ऐसी किसी जांच के विरूद्ध नहीं है, लेकिन फैसला मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ओर से आना चाहिए, जो मामले की निगरानी कर रहा है.

बचाव के मूड में बीजेपी
वरिष्ठ बीजेपी नेताओं ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा, 'हम हाई कोर्ट से सीबीआई जांच या किसी अन्य जांच के लिए क्यों कहें? अदालत द्वारा नियुक्त एसआईटी मामले की जांच कर रहा है और वह सीधे हाई कोर्ट को रिपोर्ट कर रहा है. अदालत मामले पर संज्ञान ले रही है और वह जो चाहे फैसला कर सकती है. किसी भी जांच से हमें ऐतराज नहीं है.

बीजेपी नेताओं का दावा है कि जुलाई 2013 में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद से 55 से अधिक मामले दायर हो चुके हैं और व्यापम घोटाले के विभिन्न मामलों में 2500 आरोपियों में से 2000 के लगभग लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. उनका कहना है कि मृतकों में से किसी के भी परिजन ने किसी गड़बड़ी का आरोप नहीं लगाया है. केवल एक मामला अपवाद है, जिसमें ग्वालियर जेल में बंद आरोपी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी.

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आगे पढ़ें, निशाने पर प्रधानमंत्री की चुप्पी....{mospagebreak}चुप क्यों हैं प्रधानमंत्री?
कांग्रेस का दावा है कि प्रवेश परीक्षा और भर्ती के इस बड़े घोटाले से जुड़े 45 लोगों की अप्राकृतिक मौत हो चुकी है और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इसकी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते. सीपीएम ने बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर आरोप लगाया कि वह अपराध और भ्रष्टाचार को प्रोत्साहन दे रही है. पार्टी महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने एक शब्द भी नहीं कहा. एक भी ट्वीट नहीं किया और ना ही कोई संवाद किया इसलिए किसी को नहीं पता है कि प्रधानमंत्री क्या सोच रहे हैं.

येचुरी ने कहा कि पीएम मोदी की चुप्पी सबसे खराब बात है क्योंकि खुद मोदी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर चुप्पी साधने का आरोप मढ़ते आए हैं. व्यापम घोटाले से जुड़े व्यक्तियों की रहस्यमय मौतों पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल खड़ा करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मोदी के हस्तक्षेप और मामले की सघन जांच की मांग की.

उन्होंने ट्वीट किया, 'लोग चाहते हैं कि प्रधानमंत्री व्यापम मुद्दे पर कुछ बोलें और हस्तक्षेप करें. प्रधानमंत्री को अब और चुप नहीं रहना चाहिए . व्यापम घोटाले और उससे जुड़ी सारी मौतों की सघन जांच की जानी चाहिए. दोषियों को अवश्य दंडित किया जाना चाहिए और मौत नहीं हों, इसके लिए अवश्य कुछ किया जाना चाहिए. इस बीच कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव की व्यापम घोटाले में कथित संलिप्तता को लेकर उन्हें पद से हटाने संबंधी याचिका पर सुनवाई करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया.

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मध्य प्रदेश और केंद्र में सत्तारूढ़ बीजेपी पर घोटाले की पड़ताल करने का इरादा नहीं होने का आरोप लगाते हुए स्वराज अभियान ने मामले में सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की. पूर्व 'आप' नेताओं योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण के संगठन ने कहा कि घोटाले में शीर्ष अदालत की निगरानी में एसआईटी जांच होनी चाहिए. इस बीच प्रशांत भूषण ने घोटाले में स्वतंत्र जांच के लिए एक व्हिसलब्लोअर के तौर पर सुप्रीम कोर्ट में पेश होने पर सहमति जताई.

-इनपुट भाषा से

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