विपक्षी आरोपों पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि न तो वह और न ही उनका मंत्रिमंडल केन्द्र की ‘कठपुतली’ की तरह काम कर रहे हैं.
उमर ने इसके साथ ही केन्द्रीय गृह सचिव जी के पिल्लई की घाटी से कर्फ्यू हटाने की घोषणा पर अपनी नाराजगी को सार्वजनिक किया और कहा कि यह कदम राज्य के संस्थानों को नजरअंदाज करता है.
कश्मीर में कानून व्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर विधानसभा में हुई बहस का उत्तर देते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा,‘‘हम कठपुतलियां नहीं हैं. यहां कोई रिमोट कंट्रोल नहीं है. हम अपने लोगों और उनके फायदे के लिए फैसले लेते हैं.’’ मुख्यमंत्री पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती समेत विपक्षी सदस्यों द्वारा लगाए गए इन आरोपों का जवाब दे रहे थे कि केन्द्र राज्य को चला रहा है.
उन्होंने कहा,‘‘ मुझे एक शिकायत है. कई ऐसे अवसर आए हैं जहां लोगों ने जरूरत से अधिक बात की. केन्द्रीय गृह सचिव (जी के पिल्लई) को कर्फ्यू के बारे में नहीं बोलना चाहिए था.’’ पिल्लई ने सरकारी दूरदर्शन चैनल को दिए साक्षात्कार में ‘शब ए महराज’ की पूर्व संध्या पर कर्फ्यू हटाने की घोषणा की थी.
कश्मीर के लिए केन्द्र की आठ सूत्री पहल के बारे में उमर ने कहा कि स्कूलों को पुन: खोलने के मुद्दे पर केन्द्र ने राज्य से विचार विमर्श नहीं किया. राज्य से अन्य मुद्दों पर चर्चा की गयी.{mospagebreak}
उन्होंने कहा,‘‘ यह कहना गलत है कि स्कूलों को तीन दिन के लिए बंद कर दिया गया और केवल पैकेज की घोषणा होने पर ही खोला गया. ग्रामीण इलाकों में स्कूल खुले थे और केवल शहरी इलाकों में स्कूलों को बंद किया गया था और केन्द्र की ओर से पैकेज की घोषणा होने से काफी पहले ही हमने इन स्कूलों को खोलने का फैसला कर लिया था. ’’
कश्मीर संकट का जिक्र करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि मुद्दे के राजनीतिक समाधान की जरूरत है . मुद्दे के बाहरी और अंदरूनी पहलुओं को सुलझाने के लिए वार्ता प्रक्रिया शुरू करने की जरूरत है. उन्होंने कहा,‘‘ यह एक लंबित मुद्दा है जिसे सुलझाने की जरूरत है. यह एक राजनीतिक मुद्दा है और इसे विकास, रोजगार या केवल स्वच्छ प्रशासन के जरिए नहीं सुलझाया जा सकता.’’ उमर ने इस बात को रेखांकित किया कि मुद्दे के समाधान की चाबी केवल अलगाववादियों के पास नहीं है लेकिन उनके साथ भी वार्ता की पहल करनी होगी.{mospagebreak}
उन्होंने कहा,‘‘ यह भारत और पाकिस्तान के बीच का मुद्दा है जिसमें बीच में जम्मू कश्मीर पिस रहा है. एक बाहरी वार्ता प्रक्रिया भी शुरू करनी होगी.’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि कोई यह दावा नहीं कर रहा है कि वार्ता केवल कश्मीर पर केन्द्रित होनी चाहिए. घाटी के अलावा जम्मू, लद्दाख और कारगिल के लोगों को भी समाधान प्रक्रिया में शामिल किया जाए और उन्हें तथा हमारे पड़ोसियों (पाकिस्तान) को स्वीकार्य होने वाला समाधान ढूंढना होगा.
उमर अब्दुल्ला ने इसके साथ ही कहा कि सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (एएफएसपीए) को राज्य के उन इलाकों से हटाए जाने की जरूरत है जहां इसकी जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा,‘‘ हम एक सिरे से एएफएसपीए को हटाने की बात नहीं कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि इसे केवल उन क्षेत्रों से हटा लिया जाए जहां आतंकवाद नहीं है और शांति बनाए रखने के लिए सेना की जरूरत नहीं है.’’ उमर ने कहा,‘‘ इसे हटाने से यह संदेश जाएगा कि हम जनता का बहुत विश्वास करते हैं और इससे वे शांति बनाए रखने में हमारे साथ सहयोग करेंगे.’’ उन्होने कहा कि एएफएसपीए को मणिपुर में वृहत इंफाल क्षेत्र से हटा लिया गया है और यह प्रयोग अभी तक सफल रहा है.