'जय हिंद' से अपना संबोधन शुरू करने वाले देश के आर्मी चीफ जनरल बिक्रम सिंह ने इंडिया टुडे कॉनक्लेव में कहा कि लोगों को अपने आर्मी के बारे में जानना चाहिए. आर्मी केवल हथियार उठाए जवानों का नाम नहीं है. उन्होंने कहा कि आर्मी को केवल आंतरिक-सुरक्षा के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि हम टैंक जैसे हथियारों का इस्तेमाल देश के अंदर करते हैं.
बिक्रम सिंह ने बताया कि आर्मी सेक्यूलरिजम में सर्वोच्च स्थान रखता है. हमारे जवानों का धर्म ही उसके कमांडिग ऑफिसर का धर्म होता है. साथ ही आर्मी लिंग समानता के लिए भी प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि देश में किसी भी तरीके के फूट की स्थिति को खत्म करने में आर्मी का सबसे बड़ा योगदान है.
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देश के प्रति समर्पित जवानों और शहीदों के बारे में उन्होंने कहा कि आजादी के बाद से 22443 जेसीओ की मौत हो चुकी है. इन शहीदों को इनकी पहचान मिलनी चाहिए. देश की सुरक्षा से बड़ा कोई मोल नहीं है लेकिन शहीदों को याद किया जाना भी बहुत जरूरी है.
उन्होंने आगे कहा कि सेना से सेवानिवृत हुए जवान धाकड़ प्रबंधक होते हैं, देश को चाहिए कि वो उनको कामों में लगाएं. इन सबों के साथ हमने देश का मान बढ़ाया है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में आप देखेंगे कि हमारे जवान और पदक जीतकर देश को न्योछावर कर रहे हैं.
आर्मी चीफ बिक्रम सिंह ने बताया कि सुरक्षा जवान घुसपैठ से प्रभावित उन इलाकों में औरतों और बच्चों के लिए बुनियादी जरूरतों की चीजों पर काम कर रहे हैं. सीमा से लगे कुछ राज्यों में एएफएसपीए कानून का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि यह सही समय नहीं होगा कि एएफएसपीए को हटाया जाए. उन्होंने कहा कि इस मसले को राजनीति रंग ना दिया जाए क्योंकि एएफएसपीए को हटाने का निर्णय हमारा नहीं होगा, हम केवल सुझाव दे सकते हैं.
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बिक्रम सिंह ने कहा कि सियाचीन हमारा है, फिर हम अपने ही इलाके के बारे में ऐसे क्यों बात करें कि यह किसी और को दिया जा रहा है. यह तर्क के उलट है.
लोगों से सवाल के रूप में पूछते हुए बिक्रम सिंह कहते हैं कि कौन है जो मरना चाहता? वह आगे कहते हैं कि हम कश्मीर के लिए खुशी-खुशी मर जाना चाहते हैं. हम वहां हैं क्योंकि देश को हमारी जरूरत है.
पाकिस्तान के रवैये पर दो टूक बोलते हुए उन्होंने कहा कि कारगिल को लेकर पाकिस्तान ने अपनी गलती कभी नहीं मानी और अब मुशर्रफ कहते हैं कि हां, वो सीमा से 11 किमी आगे तक आ गए थे. आप हम पर विश्वास तोड़ने का आरोप कभी नहीं लगा सकते. आप भारत में आतंक को भेजने की नीति को जारी नहीं रख सकते. पाकिस्तान को हिदायती लहजे में कहा कि आप दोहरा मानदंड रखते हैं.
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कॉनक्लेव में आए पाकिस्तानी पत्रकारों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि लड़ाई हमारी नीति में नहीं है. हम जब भी लड़ाई के लिए गए हैं हमें मजबूरी में मैदान में उतरना पड़ा है. आप अपना इतिहास के पन्ने पलट कर देख सकते हैं. भारतीय सेना हमेशा नागरिक प्रशासन और उनके नियंत्रण का सम्मान करती है.