शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने नरेंद्र मोदी को एनडीए का पीएम उम्मीदवार बनाए जाने का स्वागत करते हुए गुजरात के मुख्यमंत्री से अपनी हिंदुत्ववादी छवि बनाए रखने की अपील की है.
उन्होंने कांग्रेस और अन्य पार्टियों पर तथाकथित धर्मनिरपेक्षता की गंदी राजनीति करने का आरोप लगाया है. शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में छपे संपादकीय में शिवसेना सुप्रीमो ने कहा है कि आज देश में आर्थिक अराजकता है. रुपया मरणासन्न स्थिति में है. उसके लिए मोदी जिम्मेदार नहीं हैं.
सामना में छपे लेख का एक अंश...
मोदी 2014 के चुनावी समर के सेनापति हैं और उनके साथ अब सबको कमर कसकर खड़ा रहना होगा. मोदी के हाथ में कोई जादू की छड़ी नहीं कि वे छड़ी घुमाएंगे और दिल्ली में सत्ता परिवर्तन हो जाएगा. पिछले 10 साल से सत्ता से वंचित एनडीए की सुस्ती दूर होगी और वह नए जोश के साथ खड़ी होगी. वास्तविकता तो यह है कि कांग्रेस के पास भी कोई जादू की छड़ी नहीं है इसके बावजूद उनकी दिल्ली में सत्ता है. इस सत्ता ने देश को चौपट कर डाला है. लेकिन दिखावटी धर्मनिरपेक्षता का शोर मचाते हुए वह अन्य धर्मनिरपेक्षवादियों को अपने साथ बांधकर सत्ता का सुख भोग रही है न? अर्थात उनके चेहरे पर तथाकथित धर्मनिरपेक्षता का मुखौटा है और मोदी का चेहरा हिंदुत्ववादी है. इसके बावजूद गुजरात दंगे का आरोप जान-बूझकर बार-बार मोदी के माथे मढ़ा जाता है. इसीलिए कई दिखावटी दल और नेता 'अयोध्या' कांड का धब्बा जिस 'भाजपा' पर है उसके साथ सत्ता की भूख इसके पहले मिटा चुके हैं और वाजपेयी, आडवाणी, विशेष रूप से शिवसेना की जांघ से जांघ लगाकर बैठे ही थे न? गुजरात में 2002 में दंगे हुए उसके लिए मोदी जिम्मेदार हैं, ऐसा कहा जाता है. फिर आज उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा का जो दावानल उठा है उसके बाद भी मुलायम सिंह के दल के साथ दिल्ली में कांग्रेस ने हाथ मिलाया ही है न. असम में दंगे होते रहते हैं. वहां कांग्रेस की सत्ता है. जम्मू के किश्तवाड़ में दंगे हुए. वहां अब्दुल्ला की पार्टी की सत्ता कांग्रेस की मदद पर ही टिकी है. फिर इन दंगों के दाग से किसी की धर्मनिरपेक्षता की लूंगी क्यों दागदार नहीं होती? इसका भी जवाब इन दिखावटी धर्मनिरपेक्षवादियों को देना जरूरी है. देश में इन दिनों आर्थिक अराजकता है. हिंदुस्तान का रुपया मरणासन्न अवस्था में अर्थी पर लेटा है. उसके लिए मोदी जिम्मेदार नहीं.