भारत के पूर्व विदेश सचिव और प्रधानमंत्री के विशेष दूत श्याम सरन ने कहा है कि पड़ोसी देशों में चीन को पांव पसारने का मौका हमने दिया है. सरन ने एक परिचर्चा में कहा कि पड़ोसी देशों में सड़क परिवहन, रेल नेटवर्क, पाइपलाइन आदि आधारभूत संरचनाओं के विकास में हम भागीदारी नहीं कर रहे हैं तो कोई न कोई तो इसमें अवश्य करेगा.
उन्होंने कहा कि यह कहना ठीक नहीं है कि चीन हमारे चारों तरफ ऐसी संरचनाओं का विकास कर हमें घेर रहा है. उन्होंने कहा कि दरअसल जगह खाली है तो कोई न कोई तो भरेगा. सरन ने कहा कि हमें चीन द्वारा सीमा के पास उसके अपने नेटवर्क को मजबूत करने पर चिंतित होने के बजाए अपनी सीमा के पास इस तरह की अधोसंरचना को मजबूत करना चाहिए. हमें खुद की स्थिति को दृढ़ करने की जरूरत है. पूर्व विदेश सचिव ने कहा कि हमारी सीमाओं की स्थिति दयनीय है.
उन्होंने कहा, ‘मैं सीमा पर आधारभूत संरचनाओं संबंधी सर्वे से चार-पांच वर्ष तक जुड़ा रहा था. हमारा नेटवर्क काफी दयनीय है.’ उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में तेजी से बदलाव आ रहा है. किसी एक छोर पर बदलाव का असर दुनिया के दूसरे छोर तक महसूस किया जा रहा है.
पाकिस्तान के बारे में श्याम सरन ने कहा कि हमारा सबसे ज्यादा वक्त और ऊर्जा अपने इसी पड़ोसी देश पर खर्च हो रही है जिससे हम अपने अन्य पड़ोसी राष्ट्रों की तरफ ज्यादा ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रहे हैं. इसी वर्ष जुलाई में भारत और पाकिस्तान के बीच विदेश मंत्री स्तर की वार्ता के असफल रहने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ वार्ता जारी रखनी होगी. सह अस्तित्व के लिए यह जरूरी है.
म्यामां के बारे में उन्होंने कहा कि 1980 और 1990 के दशक में उसके साथ हमारे संबंध बाधित हुए थे. 1990 के मध्य में उसके साथ संबंधों की पुनर्बहाली शुरू हुई. उल्लेखनीय है कि म्यामां के सैन्य शासक ने हाल ही में भारत की यात्रा की थी जो संबंधों की पुनर्बहाली के बाद दूसरी यात्रा थी. यह पूछने पर कि क्या सीमा विवाद पर चीन के साथ वार्ता के समय भारत दबाव में होता है तो उन्होंने कहा कि दबाव जैसी कोई बात नहीं है. उनकी अपनी मजबूती एवं कमजोरियां हैं जबकि हमारी अपनी हैं. हमें खुद को मजबूत करना होगा.