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मेरे पास सिर्फ 48 घंटे, सरकार बचेगी या जाएगी, नहीं पताः अरविंद केजरीवाल

क्या अरविंद केजरीवाल को सरकार गिरने का डर लग रहा है? या फिर वो दबाव की राजनीति कर रहे हैं. यह तो साफ नहीं है पर उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया है जिसपर एक बार फिर सियासत का गर्माना तय है. अरविंद केजरीवाल ने आशंका जताई है कि कांग्रेस और बीजेपी मिलकर उनकी सरकार गिरा सकते हैं. उनके पास सिर्फ 48 घंटे का वक्त है इसलिए वो उसी हिसाब से काम कर रहे हैं.

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अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल

क्या अरविंद केजरीवाल को सरकार गिरने का डर लग रहा है? या फिर वो दबाव की राजनीति कर रहे हैं. यह तो साफ नहीं है पर उन्होंने कुछ ऐसा कह दिया है जिस पर एक बार फिर सियासत का गर्माना तय है. अरविंद केजरीवाल ने आशंका जताई है कि कांग्रेस और बीजेपी मिलकर उनकी सरकार गिरा सकते हैं. उनके पास सिर्फ 48 घंटे का वक्त है इसलिए वे उसी हिसाब से काम कर रहे हैं.

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दरअसल, आज जब केजरीवाल से तबीयत से जुड़ा सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'तबीयत का क्या है? वो तो ठीक और खराब होती रहती है. हमारे पास 48 घंटे का वक्त है क्योंकि बीजेपी और कांग्रेस के बीच जो जोड़-तोड़ चल रही है उससे पता नहीं कि सरकार कब तक चलेगी. इसलिए हमारी कोशिश है कि 48 घंटे के अंदर जनता का जितना काम हो सकता है हम करा दें.'

केजरीवाल के इस बयान को कांग्रेस ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है. कांग्रेस नेता शकील अहमद का कहना है कि कांग्रेस आगे भी आम आदमी पार्टी का समर्थन करेगी. पता नहीं वो इस तरह के बयान क्यों दे रहे हैं.

इस बीच, अरविंद केजरीवाल ने यह भी साफ कर दिया है कि दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए एम एस धीर AAP के उम्मीदवार होंगे.

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विधानसभा स्पीकर पद को लेकर तेज हुई सियासत
ऐसा लगता है कि बतौर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अग्निपरीक्षा का दौर शुरू हो गया है. कांग्रेस में समर्थन को लेकर विरोध में उठे सुर से पहले ही ये शुबहा हो चुका है कि क्या केजरीवाल बिना किसी अड़चन के बहुमत साबित कर पाएंगे. अगर वो इस पड़ाव को पार कर ले जाते हैं तो अगली ही सीढी पर वो खुद को मुश्किल में घिरा पा सकते हैं और ये पड़ाव होगा विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव का. बीजेपी के जगदीश मुखी को एलजी ने प्रो टेम स्पीकर बनाने का फैसला किया था और वो सभी सदस्यों को शपथ दिलाते. लेकिन बीजेपी ने कड़ा फैसला किया कि मुखी या कोई बीजेपी विधायक प्रो टेम स्पीकर नहीं बनेगा.

असल में किसी पार्टी का बहुमत ना होने की वजह से बीजेपी की उम्मीदें परवान चढ़ी हैं. अगर मुखी प्रो टेम स्पीकर बनते तो विधानसभा अध्यक्ष चुनाव में उनका एक वोट कम हो जाता. पार्टी ऐसा जोखिम नहीं लेना चाहती. बीजेपी के 32 विधायक हैं और एक निर्दलीय का समर्थन उसको मिल सकता है. आप के 28 विधायक है. जदयू के शोएब आप को समर्थन कर चुके हैं. ऐसे में स्पीकर चुनाव में कांग्रेस के 8 सदस्यों का रोल अहम हो जाता है.

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अगर स्पीकर AAP को छोड़कर किसी दूसरी पार्टी का बनता है तो क्या होगा? बेशक स्पीकर का पद पार्टियों की राजनीति से परे होता है लेकिन विधानसभा में खिंचाई की संभावना ज्यादा होगी. विपक्ष की आवाज भी मुखर तरीके से उठ सकती है. अब देखना ये होगा कि स्पीकर का ताज किस पार्टी के सिर सजता है.

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