आईपीएल-6 में हुई 'स्पॉट फिक्सिंग' का भांडा फोड़कर दिल्ली पुलिस ने उस सभी विरोधियों के मुंह पर ताला लगा दिया है, जो कुछ वक्त पहले तक दिल्ली पुलिस कमिश्नर का इस्तीफा मांग रहे थे.
आजतक के कार्यक्रम 'सीधी बात' में दिल्ली के पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार ने कहा कि उन्होंने राजस्थान रॉयल्स के तीन बड़े खिलाड़ियों- एस श्रीसंत, अजित चंडीला और अंकित चव्हाण पर सोच-समझकर और कानूनी दांवपेच को जानते हुए हाथ डाला है.
जब नीरज कुमार से पूछा गया कि जो पूछताछ चल रही है, क्या उसमें खिलाड़ियों ने अपना गुनाह कबूल किया है, तो नीरज कुमार ने कहा, 'हमारे पास इतने सबूत हैं कि उनके पास कबूल करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है. उनको जब सबूत दिखाए, तो वो नकार नहीं पाए.'
जब नीरज कुमार से पूछा गया कि किक्रेटर्स के वकील कह रहे हैं कि पुलिस के दावे खोखले हैं और उनके पास कोई सबूत नहीं है, जिससे ये साबित हो सके कि किक्रेटर्स ने स्पॉट फिक्सिंग की. इस पर नीरज कुमार ने कहा, 'हर वकील यही कहता है कि उसका मुवक्किल निर्दोष है. पर हमारे पास सबूत है. इतने बड़े खिलाड़ियों पर हाथ सोच-समझकर, कानूनी दांवपेच को जानते हुए रखा है. हम सबूतों को कोर्ट के सामने पेश करेंगे और कोर्ट निर्णय लेगा कि ये सबूत उचित है या नहीं.'
जब पुलिस कमिश्नर से पूछा गया कि आप कैसे जानते हैं कि जो कॉल्स बाहर से आई हैं वो अंडरवर्ल्ड से आईं. ये दुबई के किसी के भी नंबर से आ सकती हैं. आपको कैसे यकीन है कि ये अंडरवर्ल्ड के ही लोग हैं. इस सवाल पर नीरज कुमार ने कहा, 'हमारे पास ऐसे कई कारण हैं जिससे हम कह सकते है कि वो अंडरवर्ल्ड के लोग हैं. पर मैं ये कारण बता नहीं सकता क्योंकि ये जरूरी नहीं कि तहकीकात की सारी बातें आपको बताई जाएं.'
जब नीरज कुमार से पूछा गया कि कुछ वकीलों ने कहा कि पुलिस ने जो वीडियो क्लिप्स दिखाई और जो ट्रान्स्क्रिप्ट सुनाई वो नहीं करना चाहिए था. ये तो मीडिया ट्रायल हुआ. सीधा कोर्ट में जाकर अपनी बात रखनी चाहिए थी. इस पर नीरज कुमार ने कहा, 'ये इसलिए किया क्योंकि हमारी बात पर कोई विश्वास नहीं करता. दूसरा मकसद था लोगों को बताना कि जब भी वो मैच देखने जाते है ये सोचकर जाते है कि वहां सब कुछ निष्पक्ष होता है पर ऐसा हकीकत में नहीं है. जिसे वो निष्पक्ष समझ रहे हैं वो निष्पक्ष नहीं है.'
जब नीरज कुमार से पूछा गया कि बीसीसीआई और आईपीएल की एंटी करप्शन यूनिट है तो क्या आपको लगता है कि वो अपना काम ठीक से नहीं कर पाई, क्योंकि सारी फिक्सिंग उनके नाक के नीचे हो रही थी, पर उन्हें जरा भी भनक नहीं लगी. तो इस पर नीरज कुमार ने कहा, 'मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहूंगा. मैं किसी और यूनिट या संस्था पर कोई लांछन नहीं लगाना चाहता.'
एक अहम सवाल पूछा गया कि जिस तरह से इतने सालों से मैच फिक्सिंग का धंधा चल रहा है, जिसे खत्म करने में हम नाकामयाब रहे हैं, तो क्या बेटिंग को वैध कर देना चाहिए. इस पर नीरज कुमार ने कहा, 'मैं पुलिस ऑफिसर हूं. मेरा काम तहकीकात करना और अपनी फोर्स की अगुवाई करना है. मैं इस तरह की बातों पर टिप्पणी करना ठीक नहीं समझता और इस पर फैसला सरकार को करना होगा कि वो बेटिंग को वैध करना चाहती है या नहीं. पर मैं इसे वैध करने के सख्त खिलाफ हूं. इससे कई दुष्प्रभाव है.'
वैसे दिल्ली में अपराध के बढ़ते आकड़ों पर भी नीरज कुमार ने अपनी बात रखी और कहा, 'अपराध के आकड़ों को रोकना पुलिस के लिए सबसे आसान काम है, क्योंकि जब आपके पास कोई शिकायत दर्ज करवाने आए और आप उसे डरा दें और शिकायत दर्ज ना करें तो आंकड़े कम ही होंगे. पहले ऐसा ही होता था जब शिकायतें दर्ज नहीं होती थीं, लेकिन मुझे गर्व है कि आज लोगों की ये शिकायत शून्य हो गई हैं कि मैं थाने गया और मेरा केस दर्ज नहीं हुआ. मैं इन आकड़ों की परवाह नहीं करता जो इस तरह शिकायत दर्ज करवाने पर क्राइम फीगर्स ऊपर दिखाते हैं. पुलिस का मूलभूत रिफार्म है कि पुलिस की परफॉर्मेंस का मापदंड ये आंकड़े नहीं होने चाहिए, क्योंकि आकड़ों से खिलवाड़ करना बहुत आसान है. पुलिस की परफॉर्मेंस का मापदंड ये होना चाहिए कि कितने केस सुलझा लिए गए हैं और कितने लोग पकड़े गए.'