देश में इस बार मानसून की बारिश सामान्य के मुकाबले 11 फीसदी कम हुई है. मौसम विभाग के मुताबिक, इस बार देश के कई इलाकों में सूखे की स्थिति है. अगस्त महीना खत्म होने जा रहा है और उत्तर भारत समेत दक्षिण भारत के ज्यादातर हिस्सों में मानसून की बारिश में कमी चिंताजनक स्तर पर है.
बारिश की कमी की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश के 641 जिलों में से 260 जिलों में बारिश 20 फीसदी से लेकर 50 फीसदी तक कम हुई है. पंजाब में बारिश सामान्य के मुकाबले 30 फीसदी कम हुई है. हरियाणा और दिल्ली में अभी तक की बारिश 27 फीसदी कम रही है. पश्चिमी यूपी में बारिश 29 फीसदी कम रही है तो वहीं पूर्वी यूपी में बारिश 35 फीसदी कम हुई है.
मानसून की बारिश की सबसे ज्यादा कमी इस बार महाराष्ट्र में देखी जा रही है. यहां मराठवाड़ा में 49 फीसदी बारिश कम रिकॉर्ड की गई है, वहीं मध्य महाराष्ट्र में बारिश 38 फीसदी कम हुई है. झमाझम बारिश के लिए जाने जाने वाले कोंकण और गोवा में भी मानसून की बारिश सामान्य के मुकाबले 33 फीसदी कम रिकॉर्ड की गई है.
फसलों पर विपरीत असर
केरल में मॉनसून की बारिश सामान्य के मुकाबले 31 फीसदी कम रही है तो वहीं कर्नाटक के उत्तरी अंदरूनी हिस्से में बारिश 44 फीसदी कम रिकॉर्ड हुई है. बारिश की कमी की वजह से दक्षिण भारत में जहां एक तरफ चाय, काली मिर्च और रबर जैसी फसलों पर विपरीत असर पड़ने की आशंका बढ़ गई है, वहीं जलाशयों में भी पानी का स्तर सामान्य से कम है. मौसम विभाग के मुताबिक, मानसून की स्थिति में अब किसी तरह के खास सुधार की गुंजाइश नहीं है, लेकिन बंगाल की खाड़ी में एक कम दबाब का क्षेत्र बना है जो मध्य भारत तक बारिश दे सकता है.
यहां बारिश ने रुलाया
इस बार का मानसून देशभर में भले ही कमजोर रहा है, लेकिन अतिवृष्टि की घटनाओं में भी जोरदार बढ़ोतरी हुई. गुजरात, राजस्थान में हुई भारी बारिश हो या पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर और पश्चिमी मध्य प्रदेश में हुई भयानक बारिश. मानसून ने कहीं पर लोगों को तरसाया तो कहीं पर रूला कर रख दिया. फिलहाल, कड़वी सच्चाई यह है कि देश का तकरीबन 42 फीसदी हिस्सा सूखे की चपेट में है.