बिहार डूबा हुआ है. पुणे में भयावह बेमौसम बारिश से तबाही मच गई. पूर्वी यूपी में कई इलाकों में नदियां उफान पर हैं. अब तक मॉनसून को लौट जाना चाहिए था, लेकिन यह जाने के नाम ही नहीं ले रहा है. दक्षिण पश्चिम मॉनसून आमतौर पर 1 सितंबर से पश्चिमी राजस्थान से लौ़टना शुरू कर देता है. 1 अक्टूबर तक यह देश के आधे हिस्से को छोड़ चुका होता है और अक्टूबर अंत तक यह देश छोड़ चुका होता है. लेकिन इस बार जाते हुए मॉनसून ने भी लोगों को रूला दिया है. मौसम विभाग की माने तो आने ही नहीं, जाने के मामले में भी मॉनसून लेट कर रहा है. इसका सही अनुमान 2 अक्टूबर के बाद ही लगेगा कि ऐसा क्यों हो रहा है? कब तक ऐसी भयावह बारिश से जूझना पड़ेगा?
लेकिन अगर आप सैटेलाइट तस्वीरें देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि राजस्थान, गुजरात, पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तर-पूर्वी राज्य, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और ओडिशा लगभग अब भी जाते हुए मॉनसूनी बादलों की चपेट में हैं. मौसम विभाग के अनुसार अभी समूचे उत्तर-पश्चिम भारत पर मॉनसून सक्रिय है, जबकि इसे अब तक इस इलाके को छोड़कर दक्षिण भारत की तरफ बढ़ जाना चाहिए था. मौसम विभाग का अनुमान है कि इस बार मॉनसून अक्टूबर के दूसरे हफ्ते तक देश को छोड़ेगा.
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भारतीय उपग्रह इनसैट-3डीआर के मिली तस्वीर से पता चलता है कि गुजरात, उत्तर प्रदेश और प. बंगला के ऊपर दबाव का क्षेत्र बना हुआ है. (फोटो-मौसम विभाग)
4 अक्टूबर तक देश के 33 फीसदी हिस्से पर भारी बारिश की चेतावनी
मौसम विभाग ने बारिश के अनुसार देश को 36 हिस्सों में बांट रखा है. अगले 4 दिनों तक यानी 4 अक्टूबर तक इनमें से 12 हिस्सों में छितराई लेकिन भारी बारिश की चेतावनी है. ये इलाके हैं - अरुणाचल प्रदेश, असम-मेघालय, मुंबई, प. बंगाल, सिक्किम, ओडिशा, झारखंड, बिहार, पूर्वी मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, पुड्डूचेरी, कराईकल, कर्नाटक और केरल.
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1 जून से अब तक देश में सामान्य से 10 फीसदी ज्यादा बारिश
1 जून से लेकर अब तक देश में सामान्य से 10 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है. इसका असर ये है कि पानी की कमी अब देश में नहीं है. लेकिन ज्यादा दिनों तक मॉनसून टिक गया तो सर्दी का मौसम जल्द आ जाएगा. साथ ठंडी के मौसम का असर ज्यादा दिनों तक रहेगा. अगर 10 फीसदी से ज्यादा बारिश होती है तो मौसम विभाग की भाषा में उसे ज्यादा बारिश का दर्जा दिया जाता है. देश में अब तक 10 फीसदी से ज्यादा बारिश हो चुकी है.
क्षेत्र वास्तविक बारिश सामान्य बारिश अंतर
पूर्वी-उत्तर पूर्वी भारत 1240.7 मिमी 1410.4 मिमी -12%
उत्तर-पश्चिम भारत 586.0 मिमी 599.5 मिमी -2%
मध्य भारत 1262.8 मिमी 976.6 मिमी +29%
दक्षिण भारत 840.9 मिमी 726.2 मिमी +16%
पूरा देश 968.3 मिमी 880.6 मिमी +10%
आखिर क्यों मॉनसून जाने में कर रहा है लेट?
मौसम विभाग के अनुसार जाते हुए मॉनसून में देरी के तीन बड़े कारण हैं. पहला है - सौराष्ट्र और उससे जुड़े उत्तर-पूर्वी अरब सागर के पास निचले दबाव का क्षेत्र बना है. इसकी वजह से यहां एक चक्रवात बना हुआ है. दूसरा है - एक चक्रवाती दबाव दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश के ऊपर भी बना है. तीसरा है - बंगाल की खाड़ी के उत्तरी हिस्से में निचले दबाव का क्षेत्र बना हुआ है. इसलिए पूरे देश में मॉनसूनी बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही है.
आखिर पटना क्यों डूबा, कोई और शहर क्यों नहीं?
बारिश तो कई राज्यों में तेजी से हुई. अब भी हो रही है, लेकिन बिहार की राजधानी पटना ही क्यों डूबा. बाकी शहरों में ऐसी क्या व्यवस्था थी जो पटना में नहीं है. करीब 700 करोड़ से स्मार्ट सिटी बनाए जा रहे पटना के ड्रेनेज सिस्टम पर काम नहीं किया गया. सरकार का ध्यान इस तरफ गया ही नहीं. पटना से सटी गंगा, पुनपुन, गंडक और सोन नदियां पहले ही खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं. अब जब लगातार कई दिनों तक बारिश होती है तो शहर के खराब ड्रेनेज सिस्टम की इतनी क्षमता नहीं है कि वे बारिश के पानी को शहर के बाहर नदियों में निकाल सकें. इसलिए पूरा शहर जलमग्न हो गया.
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दूसरा सबसे बड़ा कारण है पटना की भौगोलिक स्थिति. पटना शहर कटोरे जैसे आकार में है. भौगोलिक स्थिति देखें तो ये निचले इलाके में है. यानी बहुत ज्यादा बारिश होने पर शहर का पानी बाहर नहीं निकलता. ज्यादा बारिश होने पर नदियों का पानी भी शहर में घुसने लगता है. हाल के वर्षों में मुंबई और चेन्नई इसका ताजा उदाहरण हैं. अगर विदेश की बात करें तो नीदरलैंड्स भी कटोरे जैसी भौगोलिक स्थिति में बसा है. लेकिन वहां का ड्रेनेज सिस्टम बेहद अत्याधुनिक है इसलिए वहां भारी बारिश में पानी नहीं टिकता.