लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो चुकी है. नए क्षेत्रों में संभावना तलाशने की रणनीति के तहत बीजेपी ने पश्चिम बंगाल पर ध्यान बढ़ा दिया है. पार्टी अध्यक्ष अमित राज्य के दो दिन के दौरे पर हैं. बता दें कि 2014 के बाद से राज्य में बीजेपी का ग्राफ लगातार तेजी से बढ़ा है. लेफ्ट और कांग्रेस को पीछे छोड़ते हुए बीजेपी मुख्य विपक्षी दल बन चुकी. और यह कांग्रेस-लेफ्ट से ज्यादा टीएमसी के लिए चिंता की बात है.
बीजेपी का मिशन बंगाल, इस बार 26 का टारगेट
शाह ने राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 26 सीटें जीतने का टारगेट तय किया है. बंगाल की सियासत में बीजेपी अपनी जड़ें जमाने के लिए पुरजोर कोशिश में लगी है. 2014 लोकसभा चुनाव के बाद से लगातार उसका ग्राफ राज्य में बढ़ा है. बीजेपी शुरू से ही ममता बनर्जी को मुस्लिमपरस्त के तौर पर पेश करती रही है. बीजेपी आने वाले चुनाव में ममता की मुस्लिमपरस्ती की छवि को भुनाने की कोशिश में है. बीजेपी को इसका फायदा भी मिल रहा है. इसी का नतीजा है कि बीजेपी राज्य में दूसरे नंबर की पार्टी बन गई है.
बीजेपी की ताकत
राज्य की ममता सरकार के खिलाफ बीजेपी लगातार अभियान चलाने में जुटी है. बीजेपी सड़क तक पर संघर्ष करती हुई नजर आ रही है. इतना ही नहीं बीजेपी ने राज्य में अपने को मजबूत करने के लिए टीएमसी के दिग्गत नेता मुकुल राय को भी अपने साथ मिला. राज्य में मुस्लिम मतों को देखते हुए उन्हें भी गले लगाने में जुटी है. राज्य में बीजेपी ने मुस्लिम सम्मेलन किया है. पिछले साल हुए निकाय चुनावों में भी बीजेपी दूसरे स्थान पर रही थी.
गांवों में भी बढा बीजेपी का दबदबा
पश्चिम बंगाल पंचायत चुनावों में सत्तारूढ़ टीएमसी ने भले ही क्लीन स्वीप कर लिया था लेकिन बीजेपी ने सभी को चौंका दिया था. राज्य में कुल 31,802 ग्राम पंचायत सीटों में से टीएमसी ने 20,848 पंचायत सीटों पर कब्जा जमाया था. जबकि बीजेपी दूसरे नंबर की पार्टी बनकर उभरी और 5,657 सीटें जीतने में कामयाब रही. सीपीएम ने 1415 उम्मीदवार और कांग्रेस महज 993 ग्राम पंचायत सीटें ही जीत सकी. जबकि इन दोनों पार्टियों से ज्यादा तो निर्दलीय उम्मीदवारों ने 1741 पंचायत सीटों पर जीत हासिल की थी.
उपचुनाव में भी बीजेपी दूसरे नंबर
गौरतलब है कि पिछले दिनों पश्चिम बंगाल की नवपाड़ा विधानसभा और उलुबेरिया लोकसभा उपचुनाव में टीएमसी ने जीत हासिल की थी. लेकिन दिलचस्प बात इन दोनों सीटों पर बीजेपी को सीपीएम से ज्यादा वोट मिले थे. सीपीएम और कांग्रेस को पीछे छोड़ते हुए बीजेपी लगातार जिस तरह से दूसरे स्थान पर काबिज होती जा रही है. इसके संकेत साफ है कि बीजेपी का ग्राफ लगातार राज्य में बढ़ रहा है. बीजेपी के लिए भले ही ये हार रही हो, लेकिन यह हार में छिपी जीत मानी जा रही है.
बीजेपी के राज्य में ये आंकड़े
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के 17 फीसदी वोटों के साथ दो सांसद जीतने में सफल रहे थे. सीपीएम के भी दो ही सांसद जीतकर लोकसभा पहुंचे थे. लेफ्ट को जहां 2009 की तुलना में 13 सीटों का नुकसान हुआ था तो वहीं बीजेपी को एक सीट का फायदा हुआ था. इसके अलावा 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी की 6 फीसदी वोट की बढ़ोत्तरी हुई और पार्टी को 10 फीसदी मत मिले. बीजेपी के तीन विधायक जीतने में सफल रहे. जबकि उसके गठबंधन को 6 सीटें मिलीं. इससे पहले बीजेपी के एक भी विधायक नहीं थे.
कमजोर कांग्रेस, बिखरी सीपीएम के लिए नई चुनौती
राज्य के पंचायत चुनाव और उपचुनाव में बीजेपी भले ही जीत न पाई हो लेकिन पार्टी मत प्रतिशत में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. जबकि कांग्रेस और लेफ्ट का ग्राफ लगातार राज्य में दिन ब दिन गिरता जा रहा है. पहले लोकसभा, फिर विधानसभा, नगर निकाय और उपचुनाव के बाद पंचायत चुनाव में कमजोर साबित रही थी. लेफ्ट दूसरे नंबर से अब वो तीसरे स्थान पर खिसक कर पहुंच चुकी है. ऐसे में सीपीएम के सामने सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी बन गई है.