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वामपंथ के 34 साल के शासन को खत्म करने वाली ममता बनर्जी जा रहीं कम्युनिस्ट चीन

ममता बनर्जी 22 जून को एक हफ्ते के कम्युनिस्ट चीन के दौरे पर जा रही हैं. ममता के साथ पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा भी होंगे.

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ममता बनर्जी जा रही हैं चीन
ममता बनर्जी जा रही हैं चीन

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चीन पश्चि‍म बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए लाल कालीन बिछाने की तैयारी कर रहा है. बंगाल में वामपंथियों के 34 साल के शासन को उखाड़ फेंकने वाली ममता बनर्जी 22 जून को एक हफ्ते के कम्युनिस्ट चीन के दौरे पर जा रही हैं.

इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार ममता के साथ पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री अमित मित्रा भी होंगे. वह चीन के दो बड़े शहरों बीजिंग और शंघाई का दौरा करेंगी. ममता का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब तृणमूल कांग्रेस खुद को बीजेपी विरोधी गठबंधन के नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रही है और कम्युनिस्ट पार्टियां कमजोर पड़ गई हैं. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार शी जिनिपंग के बीआरआई पहल के प्रति कुछ नरमी के संकेत दे रही है.

कोलकाता स्थित चीन के महावाणिज्य दूत मा झानवू ने अखबार को बताया, 'पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री चीन में हमारी मेहमान हैं. हम मुख्यमंत्री के प्रतिनिधिमंडल के साथ कई बैठकें करेंगे. तीन चरणों में बैठकें होंगी.

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इन बैठकों में चीन के कई नेता, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, बिजेनस लीडर और इंडस्ट्री चैम्बर्स के लोग शामिल होंगे. इसमें कई महत्वपूर्ण एमओयू पर दस्तखत हो सकते हैं.'

ममता वहां यूनिवर्सिटी के कुछ स्टूडेंट्स के साथ संवाद भी करेंगी. अखबार के अनुसार, ममता बनर्जी को पिछले दो साल में चीन सरकार और वहां की कंपनियों से कई बार न्योते मिले थे, लेकिन पहली बार उन्हें विदेश मंत्रालय से इसकी इजाजत मिली है.

बीआरआई पर होगी बातचीत?

चीन के बॉर्डर रोड इनिशिएटिव का भारत विरोध करता रहा है, लेकिन पीएम मोदी के हाल में दो बार चीन दौरे के बाद केंद्र सरकार के रुख में कुछ नरमी आई है. सूत्रों के अनुसार ममता बनर्जी से बीआरआई पर भी बातचीत हो सकती है. असल में पश्चिम बंगाल बीआरआई और बीसीआईएम (बांग्लादेश-चाइना-इंडिया-म्यांमार इकोनॉमिक कॉरिडोर) के तहत आने वाले क्षेत्रों में आता है.

हालांकि विदेश मंत्रालय के अधिकारी इस बात से इंकार कर रहे हैं. विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि विदेश नीति पर कोई राज्य सरकार बातचीत नहीं कर सकती. उन्होंने कहा कि सभी समझौते विदेश मंत्रालय की निगरानी में ही होंगे.

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