ओडिशा और त्रिपुरा के बाद पश्चिम बंगाल ने केन्द्र सरकार की लाभार्थियों के बैंक खाते में सीधे नकदी अंतरण योजना का विरोध करते हुए दावा किया है कि इससे वर्तमान जनवितरण प्रणाली में समस्याएं पैदा होंगी और भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) बंद हो जाएगा.
राज्य के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक ने कहा, ‘अगर लाभार्थियों को सस्ते अनाज की जगह नकदी उपलब्ध कराई जाती है तो गरीबों की भूख खत्म करने वाली जन वितरण प्रणाली का मौलिक उद्देश्य खत्म हो जाएगा और भारतीय खाद्य निगम बंद हो जाएगा.’
उन्होंने कहा कि एफसीआई का उद्देश्य जनता को सब्सिडी वाली दर पर अनाज और दालें उपलब्ध कराना है और इसका उद्देश्य खत्म हो जाएगा क्योंकि लाभार्थी द्वारा नकदी का उपयोग भोजन के अलावा अन्य उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है.
उन्होंने कहा, ‘यह फैसला गलत है. अगर नकदी अंतरण लागू हुआ तो एफसीआई बंद हो जाएगा.’ उन्होंने कहा कि राज्य की केवल 24 प्रतिशत जनता के पास आधार कार्ड है और इस योजना का क्रियान्वन कैसे संभव है जबकि पश्चिम बंगाल की ज्यादातर जनता के पास आधार कार्ड नहीं हैं.
इससे पहले ओडिशा के खाद्य मंत्री पी.के. देब ने कहा था कि यह योजना अव्यावहारिक है और राज्य में बड़ी संख्या में लोगों के पास बैंक खाते ही नहीं हैं. त्रिपुरा के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री मानिक दे भी कह चुके हैं कि उन्होंने केन्द्रीय खाद्य एवं जन वितरण मंत्री केवी थामस को पत्र लिखकर प्रस्ताव वापस लेने के लिए कहा है.