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बंगाल पंचायत चुनाव: EC ने वापस लिया नामांकन तारीख बढ़ाने का आदेश, फिर SC पहुंचा केस

प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग पर दबाव बनाया कि वह अपना पिछला आदेश वापस ले.

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पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी
पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी

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पश्चिम बंगाल राज्य निर्वाचन आयोग ने राज्य में अगले महीने होने वाले पंचायत चुनावों के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की बढ़ी हुई समय सीमा वापस ले ली.  इस फैसले के खिलाफ बीजेपी ने कोलकाता में आयोग के दफ्तर के बाहर प्रदर्शन किया. जिसके बाद अब ये मामला एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है, जिस पर बुधवार को सुनवाई होगी.

दरअसल, नामांकन के दौरान कई इलाकों में हिंसा की घटना सामने आई थी. जिसके बाद बीजेपी ने आरोप लगाया था कि उनके उम्मीदवारों को सत्ताधारी तृणमूल ने नामांकन पत्र नहीं भरने दिए और मारपीट की. इस शिकायत के बाद नामांकन तारीख बढ़ाने की मांग की गई थी. राज्य चुनाव आयोग ने इस मांग को मानते हुए नामांकन दाखिल करने की मियाद बढ़ा भी दी थी, लेकिन बाद में उन्होंने वापस ले लिया.

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आयोग के सूत्रों ने बताया कि राज्य निर्वाचन आयुक्त ए के सिंह ने पूर्व के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें पंचायत चुनावों में नामांकन पत्र दाखिल करने की अवधि बढ़ाई गई थी.

आयोग के इस फैसले पर विपक्षी पार्टियों ने सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस पर आरोप लगाया है. माकपा और भाजपा कहा है कि राज्य निर्वाचन आयोग को सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने समयसीमा बढ़ाने के पिछले आदेश को रद्द करने के लिए मजबूर किया है.

आयोग की अधिसूचना में ये कहा गया

राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी नई अधिसूचना में कहा गया, 'ऐसा लगता है कि नामांकन की तारीख बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से कोई खास निर्देश नहीं दिए गए हैं. लिहाजा, सभी दस्तावेजों के अध्ययन और सभी बिंदुओं पर विचार करने के बाद आयोग उस आदेश को वापस लेता है और (पिछला) आदेश रद्द करता है.

9 अप्रैल थी आखिरी तारीख

बता दें कि 1,3 और 5 मई को होने वाले पंचायत चुनावों के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख 9 अप्रैल थी. जबकि आयोग ने इसकी अवधि आज (10 अप्रैल) दोपहर तीन बजे तक के लिए बढ़ा दी थी. विपक्ष की शिकायतों के बाद आयोग ने मियाद बढ़ाने का यह फैसला लिया था.

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नई अधिसूचना के अनुसार, निर्वाचन आयुक्त को राज्य सरकार के विशेष सचिव और तृणमूल कांग्रेस की तरफ से दो पत्र मिले हैं. इन दोनों पत्रों में आयोग के पहले के आदेश में कानून की विसंगतियों का हवाला दिया गया था.

बीजेपी का आरोप

प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग पर दबाव बनाया कि वह अपना पिछला आदेश वापस ले.

वहीं, राज्य विधानसभा में माकपा के नेता सुजान चक्रवर्ती ने आरोप लगाया कि निर्वाचन आयोग को कोई आजादी नहीं है और राज्य के मंत्रियों ने उस पर दबाव डाला है.

टीएमसी की सफाई

विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने आयोग पर दबाव बनाया था कि वह समयसीमा बढ़ाने का 'अवैध आदेश' दे.

फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा केस

एक बार फिर ये केस सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. एक याचिका में राज्य चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी गई है. जिस पर कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा. हालांकि, इससे पहले 9 अप्रैल को मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने चुनाव में हस्तक्षेप न करने की बात कहते हुए बीजेपी की याचिका खारिज कर दी थी.

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