पश्चिम बंगाल में हुए शारदा घोटाला एक बार फिर चर्चा में आ गया है. राज्य की ममता बनर्जी सरकार के दो बड़े पुलिस अधिकारी अब सीधे तौर पर केंद्रीय सतर्कता आयोग की निगरानी में हैं, यानी मोदी सरकार अब सीधे तौर पर इन पर नजर रख रही है. इनमें राज्य के डीजीपी और कोलकाता के पुलिस कमिश्नर भी शामिल हैं. इन दोनों पर शारदा घोटाले की जांच में अड़चन लगाने का आरोप है.
तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद कुणाल घोष ने जून 2017 को इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री कार्यालय को चिट्टी लिखी थी. चिट्ठी में कहा गया था कि उन पुलिस अधिकारियों पर भी कार्रवाई होनी जरूरी है, जो कि इस घोटाले की जांच में रोड़ा बन रहे हैं. कुछ अधिकारी इस मुद्दे पर आरोपियों की मदद कर रहे हैं.
घोष की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए पीएमओ ने इस मामले को सीधे केंद्रीय सतर्कता आयोग को थमा दिया. जिसके बाद से ही अधिकारी नजर में हैं. कुणाल घोष ने इंडिया टुडे से बात करते हुए कहा कि मुझे केंद्र सरकार की चिट्ठी मिली है जिसमें उन्होंने इस मसले पर जांच की बात कही है.
इस शिकायत में घोष ने सीधे तौर पर कोलकाता के पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार का नाम लिया है. कुमार राज्य सरकार द्वारा मामले की जांच के लिए बनाई गई SIT के अध्यक्ष थे. सीएम ममता बनर्जी ने ही उन्हें कोलकाता पुलिस का कमिश्नर बनाया था. कुमार के अलावा बंगाल पुलिस के DG, डिप्टी कमिश्नर पुलिस अर्नब घोष के भी नाम हैं.
गौरतलब है कि बीजेपी लगातार इस मुद्दे को उठाती रही है. बीजेपी ने राजीव कुमार पर भी आरोप लगाए थे. कुमार को बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले SIT चीफ के पद से हटाया भी गया था. जिसके बाद ममता ने सत्ता में वापसी के बाद उन्हें कमिश्नर बनाया.