अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, त्रिलोचन महतो और दुलाल कुमार दोनों ने पिछले महीने संपन्न हुए पंचायत चुनाव से पहले ही बीजेपी का दामन थामा था. शनिवार को 32 वर्षीय दुलाल कुमार का शव बिजली के टॉवर से लटकता पाया गया. वहीं, इससे पहले 20 साल के त्रिलोचन महतो का शव एक पेड़ से लटका मिला था. उसकी टीशर्ट पर लिखा गया था कि बीजेपी के लिए काम करने वालों का यही अंजाम होगा.
बीजेपी से पहले कांग्रेस समर्थक
दरअसल, पंचायत चुनाव से पहले मार्च महीने में राम नवमी के मौके पर बजरंग दल द्वारा राज्य के दूसरे इलाकों की तरह पुरुलिया में भी जुलूस का आयोजन किया गया था. इस दौरान त्रिलोचन महतो और दुलाल कुमार बीजेपी नेताओं के संपर्क में आए और उन्होंने पार्टी ज्वाइन कर ली.
हालांकि, इससे पहले महतो सीपीएम सरकार के दौरान कांग्रेस के समर्थक हुआ करते थे. लेकिन राज्य में तृणमूल कांग्रेस की सरकार आने के बाद उसने अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया और केटरिंग के काम में लग गए. लेकिन राम नवमी जुलूस के बाद त्रिलोचन को 'बूथ सुरक्षा कमेटी' का प्रमुख बनाया गया.
महतो और दुलाल के ब्लॉक बलरामपुर की बात की जाए तो यहां बीजेपी ने पंचायत चुनाव में बेहतर प्रदर्शन किया है. यहां बीजेपी ने 20 में से 17 पंचायत सीट और 2 जिला परिषद सीटों पर अपना कब्जा जमाया है.
दुलाल अपने पीछे पत्नी और तीन बच्चे छोड़ गए हैं. लेकिन बीजेपी ने इस मामले को बड़ा मुद्दा बनाया है. रविवार को पार्टी ने राज्य में 12 घंटे का बंद भी बुलाया था. साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह समेत दूसरे राष्ट्रीय नेताओं ने इन घटनाओं के बहाने बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को निशाने पर लिया है.