'हमारा फरमान मानो नहीं तो यहां से खिसक लो'... ये है ममता बनर्जी राज के नीचे पनप रहे 'सिंडीकेट राज' का खुल्लमखुल्ला और खतरनाक संदेश….इन सिंडीकेट्स ने तृणमूल कांग्रेस के पार्षदों, सदस्यों, सरकारी अधिकारियों के संरक्षण में अपने तार रियल एस्टेट से लेकर दुर्गा पूजा आयोजनों तक फैला रखे हैं.
ये सिंडीकेट जमीन की खरीद-फरोख्त, निर्माण और बिल्डिंग सामग्री की सप्लाई, हर जगह अपना दखल रखते हैं. अगर कोई खरीदार वैध तरीकों से आगे बढ़ना चाहता है तो ये सिंडीकेट अपने हथकंडों से सुनिश्चित करते हैं कि वो उनकी मांगों के दबाव के आगे टूट जाए.
इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेशन टीम की ओर से तृणमूल के गढ़ में जांच से सामने आया है कि किस तरह कुख्यात सिंडीकेट्स, पार्टी और सरकारी अधिकारियों के बीच हैरान कर देने वाली मिलीभगत है. एक पार्षद, टीएमसी का सदस्य, एक अधिकारी और एक सिंडीकेट कैमरे पर ये बताते हुए कैद हुए कि किस तरह ये पूरा सिस्टम काम करता है. प्रोटेक्शन मनी किस तरह जुटाई जाती है और किस तरह दबाव का इस्तेमाल किया जाता है.
बिधाननगर से टीएमसी पार्षद स्वाति बनर्जी के पति सोमेन बनर्जी ने कहा, 'ज्यादा बोलेगा तो झमेला होगा, और तोड़फोड़ कर देगा. ये लोग बहुत डेंजर आदमी है. इसका जो लीडर है बहुत बड़ा लीडर है वेस्ट बंगाल का. नेक्स्ट एमएलए होगा. वो सब कुछ तोड़फोड़ कर सकता है. लॉकडाउन या पैसा दो 10 लाख.'
इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर ने खुद को काल्पनिक कारोबारी बताते हुए अपना परिचय सोमेन बनर्जी को दिया और रेस्टोरैंट खोलने की इच्छा जताई. साथ ही पूछा कि पुलिस क्यों दखल नहीं देती है. इस पर सोमेन बनर्जी ने सिंडीकेट्स के बाहुबल के बारे में बेखौफ़ बताया.
सोमेन बनर्जी के साथ ही इलाके में सक्रिय सिंडीकेट से जुड़ा राणा बासु भी कैमरे में कैद हुआ. दोनों ने अंडर कवर रिपोर्टर से चार लाख रुपए से ज्यादा की मांग की.
राणा बासु ने कहा, 'बोला ना एक ही बार आपको देना है...बार-बार नहीं'.
सोमेन बनर्जी - ये (राणा बासु) एक दुर्गा पूजा करेगा, मेरा वार्ड में नहीं दूसरा वार्ड में. उसको देख दीजिए जरा और हमको जरा देख दीजिए बस... 25 हजार उसको दे देना. पर्ची काट कर इनको दे दो और क्लोज डिस्कशन'.
राणा बासु (सोमेन बनर्जी से)- 'अब आप अपना बोल दो'...
सोमेन बनर्जी- 'आप दे दीजिए 25 हजार उसको और हमको आप चार (लाख) दे दीजिए.'
जब अंडरकवर रिपोर्टर ने पार्षद स्वाति से सीधे बात कराने के लिए कहा तो बनर्जी ने कहा, 'वो क्या करेंगी? आप मुझसे बात करो...एक ही बात है'. एक रेस्टोरेंट शुरू करने के लिए चार लाख से ज्यादा की वसूली! ये बताता है कि राज्य में किस तरह सिंडीकेट फलफूल रहे हैं. उनका फरमान साफ है- पैसा दो नहीं तो भुगतो.
सोमेन बनर्जी ने 'सिंडीकेट राज' में जंगल के कानून की ओर इशारा करते कहा, 'इनके वार्ड में एकदम ताला चाबी मार देगा. अंदर लॉक कर देगा...बोलेगा 5 लाख रुपया दो, 10 लाख रुपया दो.'
राणा बासु ने भी सिंडीकेट की ताकत का सोमेन बनर्जी की तरह ही हवाला दिया. राणा बासु ने बताया कि एक शख्स ने कंस्ट्रक्शन का कारोबार उनके क्लब को बिना चंदा दिए शुरू करने की कोशिश की तो कैसे उसे हड़काया गया.
राणा बासु- 'मुझे पता चला कि मेरे एरिया में एक कंस्ट्रक्शन साइट पर ढलाई (छत डालने) का काम हो रहा है. मैंने उसे क्लीयर बोल दिया कि मेरे क्लब को चंदा नहीं मिला अभी तक इसलिए मैं काम रोक दूंगा. इस पर वो गुहार करने लगा कि काम मत रोको, मैं देख रहा हूं, मैं देख रहा हूं (हमारी डिमांड के बारे में). मैं जब पकडूंगा तो सब दिख जाएगा.'
रेस्टोरेंट खोलने की काल्पनिक योजना
सिंडीकेट राज का नासूर किस हद तक फैला है ये टीएमसी कार्यकर्ता सुशांतो दास की बातों से साफ हुआ. नॉर्थ दमदम से टीएमसी पार्षद बिधान बिस्वास के करीबी सहयोगी सुशांतो दास ने कहा, 'कोई लफड़ा करने वाला नहीं. हम लोग ही जाकर लफड़ा करता है. हम लोगों का छोड़ कर कोई और जमीन लेता है तो हम लोग लफड़ा करते है. पार्टी –वार्टी जो है सब हमारा है...नेता सब हमारे पास है.'
सुशांतो दास ने बिना किसी झिझक कबूल किया कि वो टीएमसी का सदस्य है. जब अंडर कवर रिपोर्टर ने सुशांतो दास से जानना चाहा कि किसी और ने दखल दिया तो क्या होगा? इस पर सुशांतो दास ने नॉर्थ दमदम पर अपने सिंडीकेट की मजबूत पकड़ का हवाला देते हुए कहा, 'ये हमारा इलाका है. चेयरमेन, पार्षद से लेकर बिल्डिंग प्लान तक हम सबका इंतजाम करा देंगे. आपको टेंशन की कोई जरूरत नहीं'.
सुशांतो दास ने पहले अंडर कवर रिपोर्टर का परिचय अपने से ऊपर वाले बॉस सुजोय दास से कराया जो हमें टीएमसी पार्षद बिधान बिस्वास के दफ्तर ले गया. बिस्वास के ऊंचे रहन सहन की गवाही सोने की अंगूठियां और ब्रेसलेट ही दे रहे थे. कमरे में बिस्वास की बॉलीवुड के सितारों के साथ तस्वीरें भी दिखाई दे रही थीं.
अंडर कवर रिपोर्टर ने बिधान बिस्वास को अपने रेस्टोरेंट खोलने की काल्पनिक योजना के बारे में बताया. साथ ही किसी तरह की गड़बड ना होने की गारंटी भी चाही. इस पर बिधान बिस्वास ने कहा, 'कोई डिस्टरबेंस ना हो, इसलिए तो हम है. आप जमीन के पेपर देखिए ना... लोकल जो झमेला है, आपको काम करने के लिए वो हम देख लेगा..कोई परेशान नहीं करेगा...जिसको जो देना है हम देख लेंगे...जिसको जिसको देना है हम समझ लेंगे'.
अगर डील तय हो जाती है तो सुजोय दास ने अपने मुनाफे का हिस्सा बिल्डिंग सामग्री बेचने और कंस्ट्रक्शन के काम को देखने के जरिए सुनिश्चित करने की बात कही. सुजाय ने कहा, 'उससे कहो (अंडरकवर रिपोर्टर से) कि सारा कंस्ट्रक्शन का काम हमें आउटसोर्स किया जाएगा. यही हमारा मुनाफा है. हमें तभी मुनाफा होगा जब हम मैटीरियल सप्लाई करेंगे. मैं एक फोन कॉल के जरिए 5 मिनट में 200 को इकट्ठा कर सकता हूं'.
अधिकारियों की मिलीभगत
ये सिंडीकेट किसी अंडरग्राउंड जगहों से नहीं बल्कि अधिकारियों की मिलीभगत से खुलेआम चलते हैं. दमदम म्युनिसिपल्टी के चेयरमैन हरेंद्र सिंह ने अंडरकवर रिपोर्टर पर जोर दिया कि वो बिल्डिंग मैटीरियल सिंडीकेट से ही खरीदें. हरेंद्र सिंह ने अंडर कवर रिपोर्टर से ये तब कहा जब उसने बंद पड़े रेस्टोरेंट के पहले माले का पुनर्निर्माण करने की बात कही.
सिंह ने कहा, 'स्थानीय युवा (सिंडीकेट्स) जोर देंगे कि पत्थर-बालू जैसी बिल्डिंग सामग्री उन्हीं से खरीदें. कोई गड़बड़ नहीं होगी...बस उनसे ये सब लीजिए.'
जब सिंह से पूछा गया कि इस तरह के सिडींकेट्स को इजाजत ही क्यों दी जाती है, इन्हें रोका क्यों नहीं जाता तो सिंह ने तमतमा कर कहा, 'क्यों रोकेंगे, क्यों रोकेंगे, बोलिए...खायेगा क्या वो लोग...आप बोलते हैं कि रोकते क्यों नहीं हैं...आप अकेले कमाइएगा....अकेले खाइएगा...जो वो बेकार लड़का है उसका क्या जो दो पैसा आपसे कमाना चाहता है...स्थानीय लड़के बेरोजगार हैं बड़ी आबादी की वजह से. ये छोटा शहर और यहां हर कोई कुछ ना कुछ कर रहा है. यही वजह है कि वो इस तरह का काम कर रहे हैं. उन्होंने इसे अपने गुजारे के लिए चुना है'.
दूसरी ओर, बंगाल बीजेपी के उपाध्यक्ष चंद्र कुमार बोस ने इंडिया टुडे टीवी को सिंडीकेट राज के खुलासे के लिए बधाई दी. चंद्र कुमार बोस ने कहा, 'बंगाल में सिंडीकेट पहले भी काम करते थे लेकिन असंगठित क्षेत्र में. अब वो संगठित क्षेत्र में भी हैं. मैं ममता बनर्जी को श्रेय देना चाहता हूं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं बल्कि सिंडीकेट राज की मुख्यमंत्री के लिए.'
टीएमसी नेताओं को भी नहीं छोड़ते
चंद्र कुमार बोस ने बताया कि सिंडीकेट की ओर से किस तरह टीएमसी नेताओं को भी नहीं बख्शा जाता. बोस ने कहा, 'मेरे चचेरे भाई सुगाता बोस जो जाधवपुर से टीएमसी सांसद हैं, उन पर हमला हुआ था. मेरी आंटी कृष्णा बोस जिनकी उम्र 90 साल हैं, उन पर हमला किया गया. उनके परिवार को धमकाया गया कि वो तब तक अपने घर की मरम्मत नहीं करा सकते जब तक कि बिल्डिंग सामग्री सिंडीकेट से ना खरीदी जाए. टीएमसी नेता (कैमरे पर) भी सिंडीकेट राज होने की बात मान रहे हैं'.
सीपीआई नेता दिनेश वार्ष्णेय ने कहा, 'अगर कोई कॉरपोरेटर किसी शख्स से ये कहता है कि वो कितना पैसा ऑफर कर सकता है तो साफ है कि ये दबाव की वजह से है. जो कुछ भी दबाव से होता है तो उसके पीछे राजनीतिक संरक्षण होता है'.
राजनीतिक विश्लेषक सोमनाथ सिंघा रॉय ने इस पूरे खुलासे को खारिज करते हुए कहा कि ये टीएमसी को बदनाम करने और ममता बनर्जी को नीचा दिखाने की कोशिश है. रॉय ने कहा, 'जो लोग (इंडिया टुडे टीवी की जांच में) दिखाए गए हैं वो टीएमसी नेता नहीं हैं. रीयल एस्टेट ब्रोकर दुनिया में हर जगह होते हैं. इसमें नया क्या है. इसमें क्या नुकसान है कि कुछ युवा बालू और पत्थर की सप्लाई कर रहे हैं'.