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पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस नेता पर हमला, प्रदेश अध्यक्ष को दिखाए काले झंडे

प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बख्शी उत्तर बंगाल के कूचबिहार में मीटिंग करने पहुंचे थे. आरोपों के अनुसार भाजपा कार्यकर्ताओं ने सुब्रत को काले झंडे दिखाए. पार्टी के जिलाध्यक्ष बिनय कृष्ण बर्मन को भी निशाना बनाया गया.

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प्रतीकात्मक चित्र
प्रतीकात्मक चित्र

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राजनीतिक हिंसा के लिए चर्चा में चल रहे पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव परिणाम आए एक माह से भी अधिक समय बीत जाने के बाद भी हिंसा थमती नजर नहीं आ रही. सोमवार को प्रदेश के कूचबिहार जिले में तृणमूल कांग्रेस के जिलाध्यक्ष पर हमले और प्रदेश अध्यक्ष को काले झंडे दिखाए जाने की घटना सामने आई है. तृणमूल ने इस घटना के लिए भारतीय जनता पार्टी को जिम्मेदार ठहराया है.

जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव में भाजपा के अच्छे प्रदर्शन, तृणमूल के घटे जनाधार के बाद कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने के लिए तृणमूल के शीर्ष नेता विभिन्न जिलों में कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कर रहे हैं. इसी क्रम में प्रदेश अध्यक्ष सुब्रत बख्शी उत्तर बंगाल के कूचबिहार में मीटिंग करने पहुंचे थे. आरोपों के अनुसार भाजपा कार्यकर्ताओं ने सुब्रत को काले झंडे दिखाए. पार्टी के जिलाध्यक्ष बिनय कृष्ण बर्मन को भी निशाना बनाया गया. मीटिंग से लौटते समय माथाभांगा सित्या रोड पर बिनय पर हमला किया गया, जिसमें वह बच गए लेकिन उनकी कार का शीशा टूट गया.

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एसपी ऑफिस का घेराव कर रही भाजपा

भाजपा ने राज्य में हिंसा के खिलाफ सोमवार को पुलिस अधीक्षक कार्यालय का घेराव करने की घोषणा रविवार को ही कर दी थी. भाजपा कार्यकर्ता एसपी ऑफिस का घेराव कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ पार्टी के तीन सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को ही उत्तरी 24 परगना जिले के हिंसा प्रभावित भाटपारा का दौरा कर मृतकों के परिजनों से मुलाकात की थी. इस प्रतिनिधिमंडल में एसएस अहलूवालिया, विष्णु दयाल राम और सत्यपाल सिंह शामिल थे. इस दौरान भाजपा कार्यकर्ताओं ने ममता बनर्जी हाय-हाय के नारे भी लगाए और उन्हें तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्च किया था.

अब तक जान गंवा चुके हैं दोनों दलों के दर्जनों समर्थक

गौरतलब है कि प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान शुरू हुई हिंसा मतदान के दिन पोलिंग बूथ तक जारी रही. चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद भी यह थम नहीं रहा. भाजपा और तृणमूल कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पों में दोनों ही दलों के दर्जनों समर्थक मारे जा चुके हैं. हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि राज्यपाल ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री से मुलाकात कर हालात की जानकारी दी और गृह मंत्रालय को राज्य सरकार के लिए एडवाइजरी जारी करते हुए सूबे में केंद्रीय बलों की तैनाती का ऐलान करना पड़ा.

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