अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रविवार को राष्ट्रपति भवन में गार्ड ऑफ ऑनर के बाद मीडिया के सामने कहा कि वह भारत आने पर गदगद हैं. आजतक के पत्रकार जावेद अंसारी के सवाल पर उन्होंने जवाब दिया कि भारत-अमेरिका के बीच कई अहम सौदे होने वाले हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओबामा को गणतंत्र दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आमंत्रित किया, लेकिन जाहिर तौर पर इस अतिथि सत्कार के एवज में भारत दुनिया के सबसे ताकतवर नेता से वादों की पोटली के बजाय अहम और ठोस साझेदारी की उम्मीद रखता है. हैदराबाद हाउस में दोनों नेताओं के बीच कई साझेदारियां हुईं, लेकिन इस पूरी कवायद में भारत और अमेरिका को क्या कुछ मिला.
अमेरिका से परमाणु करार की बाधा दूर
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा से बातचीत के बाद रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि छह साल पहले हुए असैन्य परमाणु करार को लेकर अब दोनों अपने कानून, अपनी अंतरराष्ट्रीय जवाबदेही, तकनीकी व वाणिज्यिक सहयोग की दिशा में बढ़ रहे हैं. अमेरिका ने भारत के लिए निगरानी क्लॉज हटाया, जिससे दोनों देश इस दिशा में आगे बढ़े. जाहिर तौर पर असैन्य परमाणु करार दोनों देशों के बदलते रिश्तों का एक प्रमुख केंद्र बिन्दु है और मोदी के मुताबिक, पिछले चार महीनों में इसे आगे ले जाने पर दृढ़ता से काम किया गया.
आतंकवाद के खिलाफ भारत-अमेरिका
आतंकवाद पूरी दुनिया के लिए खतरा बना हुआ है. आतंकवाद की मौजूदा चुनौतियां बने रहने के बीच यह एक नया रूप ले रहा है. ऐसे में दोनों देश इस बात पर सहमत हुए हैं कि आतंकवाद से लड़ने के लिए एक व्यापक रणनीति और नजरिया अपनाने की जरूरत है. दोनों देश आतंकी समूहों के खिलाफ अपने द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग को और गहरा करेंगे. आतंकवाद विरोधी क्षमताओं को और मजबूत बनाएंगे, जिसमें प्रौद्योगिकी का क्षेत्र भी शामिल है.
जलवायु परिवर्तन
जलवायु परिवर्तन को लेकर दोनों देशों ने युवा पीढ़ी के लिए खुद को उत्तरदाई बताया. दोनों शीर्ष नेताओं ने कहा कि हर सरकार, हर देश और हर व्यक्ति को इस ओर अपनी भूमिका निभाने की जरूरत है. समझौते के तहत भारतीय शहरों को स्वच्छ हवा देने के लिए दोनों देश एक संयुक्त स्मार्ट प्रोजेक्ट के साथ आएंगे. हालांकि इसका स्वरूप क्या होगा, इसे लेकर कोई घोषणा नहीं की गई.
ओबामा से दोस्ती और सुरक्षा परिषद
पालम एयरपोर्ट पर गले मिलने से लेकर हैदराबाद हाउस में चाय की प्याली साझा करते हुए मोदी और ओबामा के बीच दोस्ती और केमिस्ट्री का नया फॉर्मूला देखने को मिला. रविवार रात राष्ट्रपति भवन में भोज के दौरान भी ओबामा ने मोदी की जमकर तारीफ की, वहीं गणतंत्र दिवस समारोह के दौरान भी दोनों नेता खूब बातचीत करते दिखे. यह इस मायने में अच्छे संकेत हैं कि दोनों देशों के बीच संबंधों में निकटता बढ़ी है. हालांकि एक सच यह भी है कि बराक ओबामा के पास अब दो साल का कार्यकाल ही बचा है. लेकिन जिस तरह उन्होंने कहा कि वह सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता की बात को आगे बढ़ाएंगे, उम्मीद की जा सकती है दोस्ती की दास्तान भारत के लिए फायदेमंद हो.
डिजिटल युग और व्यापार
दोनों देशों के बीच डिजिटल युग को लेकर भी समझौता हुआ है. दोनों देश समुद्री सुरक्षा को लेकर भी समझौते की तरफ आगे बढ़े हैं. अर्थव्यवस्था व व्यापार को लेकर भारत ने अमेरिका के साथ आगे बढ़ने की बात की है. यानी डिजिटल टेक्नोलॉजी और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भी भारत को अमेरिकी टेक्नोलॉजी का लाभ मिलेगा. तकनीकी विकास और उत्पादन के लिए दोनों देशों के बीच 10 साल के लिए रक्षा करार हुआ है. दोनों देश इस क्षेत्र में परियोजनाओं के संयुक्त विकास और उत्पादन पर भी सहमत हुए हैं.
'हॉटलाइन' से रिश्तों में गर्माहट
दोनों देशों ने अमेरिकी राष्ट्रपति और भारतीय प्रधानमंत्री, साथ ही दोनों ओर के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच ‘हॉटलाइन’ स्थापित करने पर सहमति जताई. प्रधानमंत्री ने बताया कि दोनों देशों ने अपने बढ़ते रक्षा सहयोग को एक नए स्तर तक ले जाने का भी निर्णय किया है. उन्होंने कहा, ‘हमने अत्याधुनिक रक्षा परियोजनाओं के लिए भी सिद्धांत के तौर सहमति जताई है. इससे हमारे घरेलू रक्षा उद्योगों की तरक्की में मदद मिलेगी.’
एयरक्राफ्ट तकनीक पर करार
अमेरिका के साथ भारत का एयरक्राफ्ट तकनीक पर करार हुआ है. अमेरिका ने सैनिक हार्डवेयर की 17 उच्च प्रौद्योगिकी वाली वस्तुओं की पेशकश की है. माना जा रहा है कि इसमें भारत की रुचि पांच प्रौद्योगिकियों में है, जिनमें मानव और हथियार रहित हवाई वाहन और विमान वाहक पोतों के लिए विमान उतारने की प्रणाली शामिल है.
तीन स्मार्ट सिटीज
अमेरिका की मदद से भारत में तीन स्मार्ट सिटीज बनाई जाएंगी. विदेश सचिव सुजाता सिंह ने बताया कि विशाखापत्तनम, इलाहाबाद और अजमेर में अमेरिका की मदद से स्मार्ट सिटीज बनेंगी. इनमें वर्ल्ड क्लास सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी.
भारत में निवेश
दोनों देश द्विपक्षीय निवेश संधि पर बातचीत दोबारा शुरू करने पर सहमत हुए हैं. इस संधि का मकसद दोनों देशों के बीच निवेश को संरक्षण देना है. मोदी सरकार ने विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए कई उपाय किए हैं, जिनमें रक्षा और बीमा क्षेत्रों में एफडीआई नियमों को उदार करना शामिल है. भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय निवेश समझौते पर पिछले साल से कोई बातचीत नहीं हो सकी थी. अप्रैल 2000 से नवंबर 2014 के बीच अमेरिका से भारत में 13.8 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया था.
अमेरिका को क्या लाभ
बराक ओबामा ने अपने संबोधन में कहा कि अमेरिका के लिए भारत के साथ रिश्ता टॉप प्रायोरिटी पर है. ओबामा ने इस बात का बार-बार जिक्र किया दोनों देश दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था हैं. अमेरिका में लाखों भारतीय रहते हैं. दोनों देशों के बीच व्यापार लगातार बढ़ रहा है और बराक ओबामा ने इसे 100 करोड़ डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है. जाहिर तौर सभी समझौतों का फायदा अमेरिकी व्यापार को मिलने वाला है.
अमेरिका की नजर भारत के उभरते इंश्योरेंस सेक्टर पर है. केंद्र सरकार भी इंश्योरेंस सेक्टर में नियमों में छूट को लेकर मूड बना चुकी है. यानी बहुत संभव है कि ओबामा इस ओर अपने 'दोस्त' से वादा लेकर वतन लौटें.
आने वाले समय में अमेरिका में भी चुनाव होने हैं. हालांकि ओबामा अब वहां राष्ट्रपति नहीं बन पाएंगे, लेकिन भारत से बेहतर संबंधों की छाया उनकी पार्टी को फायदा पहुंचा सकती है. इसका वहां रह रहे भारतीयों में भी अच्छा प्रभाव पड़ेगा.