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क्या है कर्नाटक विवाद का पूरा मसला?

कर्नाटक में भाजपा की बी एस येदियुरप्पा सरकार रेड्डी बंधुओं, जमीन घोटाले के आरोपों, राज्यपाल हंसराज भारद्वाज के साथ लगातार गतिरोध की स्थिति और अविश्वास प्रस्ताव से पहले 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने के मामले की वजह से पिछले एक साल से लगातार विवादों में रही है.

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येदियुरप्पा बनाम भारद्वाज
येदियुरप्पा बनाम भारद्वाज

कर्नाटक में बी एस येदियुरप्पा के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी की पहली सरकार ने पार्टी की साख पर ही बट्टा लगा दिया है. सबसे पहले अवैध खनन माफिया के नाम से जाने जाने वाले रेड्डी बंधुओं को मंत्रिमडल में जगह देना और विरोध के बावजूद उन्हें मंत्रिमंडल में बरकरार रखना. इसके बाद जमीन घोटाले का आरोप और अविश्वास प्रस्ताव से पहले 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने का मामला. गौरतलब है कि विधायकों को अयोग्य ठहराने के चलते ही येदियुरप्पा सरकार पिछले साल अक्टूबर में गिरने से बच गयी थी. इतना ही नहीं राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच वहां लगातार गतिरोध की स्थिति कायम है.

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रेड्डी बंधुओं ने निकाला दम
कर्नाटक में रेड्डी बंधुओं ने भाजपा की नींद हराम कर रखी है. उनकी बगावत के कारण भाजपा की सरकार गिरती दिखाई पड़ रही थी. येदियुरप्पा सरकार को मुश्किल से बचाया गया और रेड्डी बंधुओं की शर्तें मांगनी पड़ी. अब वहां कांग्रेस व अन्य विपक्षी पार्टियां रेड्डी बंधुओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रही है. उन पर अवैध खनन का आरोप लगाया जाता रहा है. लेकिन मुख्यमंत्री उन आरोपों पर कार्रवाई तो दूर, जांच का आदेश तक नहीं दे सके हैं. मामला फिर से नंबर गेम का है. मुख्यमंत्री को पता है कि रेड्डी बंधुओं के पास सरकार गिराने के लिए पर्याप्त संख्या में विधायकों का समर्थन है.

घोटाले की आंच से तपे
कर्नाटक में नेतृत्व की बागडोर जिस मुख्यमंत्री के हाथ में थी उसी मुख्यमंत्री पर सरकारी जमीन घोटाले का आरोप लगा. 17 नवंबर को कर्नाटक के लोकायुक्त संतोष हेगड़े ने घोषणा की कि येदियुरप्पा के खिलाफ प्रथमदृष्ट्या मामला बनाने लायक पर्याप्त सबूत हैं. विपक्ष ने करीब 2,000 दस्तावेज जारी किए, जो यह साबित करते थे कि येदियुरप्पा ने नियमों की अनदेखी करके 500 करोड़ रुपये की बेशकीमती जमीन अपने परिवार के सदस्यों के नाम आवंटित करवा दी.

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येदियुरप्पा के बेटे, भाजपा सांसद बी.वाइ. राघवेंद्र और विजयेंद्र को उनके पिता के उप-मुख्यमंत्री काल (2006 के दौरान) में सांसद कोटे के तहत बैंगलोर में एक सरकारी प्लॉट आवंटित किया गया था. जिस जमीन का उस समय बाजार मूल्य 2 करोड़ रुपये से ज्‍यादा था, उसके लिए उन्होंने 10 लाख रुपये का भुगतान किया. येदियुरप्पा ने बैंगलोर विकास प्राधिकरण (बीडीए) की जमीन भी गैर-अधिसूचित कर दी, जिसे उनके बेटों और उनके दामाद सोहन कुमार ने कौड़ियों के भाव हासिल कर लिया.

येदियुरप्पा की पुत्री उमा देवी को कथित तौर पर दो एकड़ सरकारी भूमि एक बीपीओ स्थापित करने के लिए आवंटित कर दी गई. येदियुरप्पा परिवार के कुछ सदस्यों को कथित तौर पर शिमोगा में पांच एकड़ जमीन एक अस्पताल का निर्माण करने के लिए, और दो एकड़ बैंगलोर में एक कारखाने का निर्माण करने के लिए आवंटित की गई. मार्च, 2010 में, बैंगलोर में करोड़ों रुपये मूल्य की 11 एकड़ और जमीन राघवेंद्र और विजयेंद्र के पक्ष में गैर-अधिसूचित कर दी गई. और इसमें बीडीए और शहरी विकास विभाग की सिफारिशों की अनदेखी कर दी गई. बाद में एक न्यायिक जांच के कारण यह जमीन वापस कर दी गई.

हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने भ्रष्टाचार मामले में येदियुरप्पा और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ आपराधिक मामला चलाने पर रोक लगाने के कर्नाटक उच्च न्यायायलय के आदेश को रद्द करने से इनकार कर मुख्यमंत्री को कुछ राहत दिया है. सुप्रीम कोर्ट से भूमि को अधिसूचित श्रेणी से बाहर करने के मामले में अनियमितता को लेकर येदियुरप्पा और उनके परिवार के खिलाफ आपराधिक मामला चलाने पर लगाई गई हाई कोर्ट की रोक को हटाने की मांग की थी.

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और भी हैं घोटाले!
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा पर लगातार घोटालों के आरोप लगते रहे हैं. उन पर इस साल मार्च के महीने में जद (एस) के वरिष्ठ नेता एच डी कुमारस्वामी ने आरोप लगाया कि येदियुरप्पा के बेटे को कई कंपनियों ने चंदा दिया और सूबे की सरकार ने उन कंपनियों का काम किया. उन्होंने (कुमारस्वामी ने) दस्तावेज जारी करके दावा किया है कि येदियुरप्पा संचालित एक शिक्षण ट्रस्ट को आधिकारिक पक्ष के लिए विभिन्न कंपनियों की ओर से 27 करोड़ रुपये का अनुदान मिला है. अनुदान देने वाली कंपनियों में वे कंपनियां भी शामिल है जो घाटे में चल रही हैं.

विपक्ष का आरोप है कि येदियुरप्पा के बेटे बी वाई येदियुरप्पा के प्रेरणा ट्रस्ट ने स्टील और कंस्ट्रक्शन कंपनियों से चंदा लिया. इसके बदले येदियुरप्पा सरकार ने इन कंपनियों को फायदा पहुंचाया. इन आरोपों के मुताबिक 2008 से 2010 के बीच प्रेरणा ट्रस्ट को 27 करोड़ 18 लाख रुपये दिए गए. येदियुरप्पा के बेटे के ट्रस्ट को डोनेशन देने वाली कंपनियों में आदर्श डेवलपर्स, इंडस्ट्रियल टेक्नो मैनपावर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, जय भारती टेक्निकल प्राइवेट लिमिटेड, रियल टेक्निकल सोल्यूशन्स प्राइवेट लिमिटेड और साउथ वेस्ट माइनिंग लिमिटेड का नाम सामने आया.

पहले भी कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों पर लगे हैं दाग
राज्‍य के पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों ने भी, जिनमें धरम सिंह और एच.डी. देवेगौड़ा के बेटे एच. डी. कुमारस्वामी शामिल हैं, अपने रिश्तेदारों के लिए जमीन के ऐसे घोटाले किए. कुमारस्वामी ने आवंटित जमीन अभी तक वापस नहीं की है. विपक्ष के आरोपों के जवाब में येदियुरप्पा का कहना है कि उनके परिवार के सदस्यों के नाम काल्पनिक घोटालों में घसीटे जा रहे हैं, ताकि विपक्ष की करतूतों को ढका जा सके. विपक्ष का यह भी आरोप है कि मुख्यमंत्री ने बेल्लारी स्थित साउथ वेस्ट माइनिंग लिमिटेड से 20 करोड़ रुपये की घूस ली. इस आरोप के पक्ष में प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों में दावा किया गया है कि पैसा कथित तौर पर राघवेंद्र, विजयेंद्र और सोहन कुमार के बैंक खातों में जमा करवाया गया.

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अयोग्य ठहराये विधायकों पर मुख्यमंत्री की किरकिरी
अभी 13 मई को कर्नाटक की सत्तारूढ़ भाजपा को सुप्रीम कोर्ट ने भी एक बड़ा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष के उस विवादास्पद फैसले को रद्द कर दिया जिसमें उन्होंने पिछले साल अक्टूबर में अविश्वास प्रस्ताव से पहले 16 विधायकों को अयोग्य ठहराया था और इसके चलते येदियुरप्पा की सरकार बच गयी थी. कर्नाटक हाई कोर्ट ने गत वर्ष 29 अक्टूबर को 11 बागी भाजपा विधायकों की अयोग्यता के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर मुहर लगाई थी.

उपचुनाव में जीते भाजपा उम्मीदवार
इस बीच कर्नाटक में 9 अप्रैल 2011 को हुए उपचुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने तीनों सीटों पर आसान जीत हासिल कर ली. इस चुनाव परिणाम से 224 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा की सीटों का आंकड़ा 109 हो गया. भाजपा को एक निर्दलीय विधायक का समर्थन पहले से मिला हुआ है.

इसके तुरंत बाद मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने बयान जारी कर कहा कि अब उन्हें 11 बागी विधायकों का भी समर्थन मिल गया है और राज्यपाल जब चाहें, वे सदन में बहुमत साबित कर सकते हैं. उपचुनाव में तीन सीटें जीतने के बाद कर्नाटक विधानसभा में बीजेपी के विधायकों की संख्या 109 हो गई है. सदन में कांग्रेस के 71 और जेडीएस के 26 विधायक हैं. 224 सीटों वाली विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 113 है और बीजेपी के 11 बागियों ने फिर से पार्टी को समर्थन देकर येदियुरप्पा का काम आसान कर दिया है.

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राज्यपाल से भिड़ंत जारी
लेकिन असल बवाल तो तब खड़ा हुआ जब राज्यपाल ने केंद्र को एक विशेष रिपोर्ट भेजकर कर्नाटक में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश कर दी.

इसके बाद मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने देश की राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखा कि उनकी सरकार के खिलाफ किसी किस्म की साजिश न हो. हालांकि राज्यपाल की सिफारिश के बावजूद केंद्र सरकार राष्ट्रपति शासन लगाने पर फैसला अब तक नहीं कर सकी है. इससे पहले भी राज्यपाल हंसराज भारद्वाज ने अक्टूबर 2010 में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश की थी जिसे केंद्र सरकार ने नहीं माना था. वैसे राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की सिफारिश के बाद शुरू हुई राजनीतिक जंग के बीच भारद्वाज और येदियुरप्पा ने एक दूसरे के प्रति कुछ दोस्ताना रूख भी दिखाया था.

येदियुरप्पा ने अब 2 जून से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र की अनुमति की मांग की है और कहा है कि अगर अनुमति नहीं मिली तो वह खुली जीप में राज्यव्यापी दौरा शुरू कर देंगे और जनमत जुटाने के लिए रैलियों को संबोधित करेंगे. साथ ही भाजपा ने कर्नाटक के राज्यपाल हंसराज भारद्वाज को तुरंत हटाने की मांग की है. भाजपा का कहना है कि लगातार राज्य सरकार के विरोध से प्रतीत होता है कि भारद्वाज कांग्रेस के ‘एजेंट’ के तौर पर काम रहे हैं इसलिए उनका इस पद पर बने रहना किसी भी तरह से उचित नहीं है.

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