2 स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस हो रही है. विपक्ष इस घोटाले की जांच जेपीसी से कराना चाहता है तो सरकार कह रही है कि इस घोटाले की पीएसी करने में सक्षम है. तो जानते हैं आखिर क्या है पीएसी?
पीएसी अंग्रेजी अक्षर के PAC से बना है, जिसका पूरा मतलब होता है. पब्लिक अकाउंट्स कमेटी. पब्लिक अकाउंट्स कमेटी यानि खर्चे का हिसाब-किताब देखने वाली कमेटी. इस कमिटी का अध्यक्ष विपक्ष का नेता होता है.
पीएसी कैग की रिपोर्ट की जांच करती है. पीएसी द्वारा तैयार की गई सिफारिश को सरकार मानने के लिए बाध्य नहीं है. शायद यही कारण है कि विपक्ष पीएसी नहीं जेपीसी की मांग कर रहा है. वैसे भी भाजपा के लिए पीएसी बहुत शुभ नहीं रहा है.
पहले जसवंत सिंह जी इसके अध्यक्ष बने, तो वह अपनी किताब लेकर एक तरफ खड़े हो गए और पार्टी दूसरी तरफ. अंतत: पार्टी से निकाले गए, जो फिर भाजपा में शामिल हो चुके हैं. लेकिन अब मुरली मनोहर जोशी इसके अध्यक्ष हैं, जो सरकार के पीएसी के सुर में सुर मिलाते हुए कह रहे हैं कि 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच करने के लिए पीएसी सक्षम है.