{mosimage}स्वाइन फ्लू संक्रमण का रुप में फैल रहा है. ऐसे में सरकार भी काफी सतर्कता से काम कर रही है. सरकार ने सभी बड़े सरकारी अस्पतालों में इसके इलाज की व्यवस्था की है.
क्या है इलाज
स्वाइन फ्लू के लक्षण प्रकट होने के दो दिन के अंदर ही एंटीवायरल ड्रग देना जरूरी होता है. इससे एक तो मरीज को राहत मिल जाती है और इससे बीमारी की तीव्रता भी कम हो जाती है. इसके बाद मरीज को तत्काल अस्पताल में भर्ती कर दें ताकि पैलिएटिव केअर शुरू हो जाए और तरल पदार्थों की आपूर्ति भी पर्याप्त मात्रा में होती रहे. अधिकांश मामलों में एंटीवायरल ड्रग तथा अस्पताल में भर्ती करने पर सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है.
स्वाइन फ्लू से बचने की दवा
स्वाइन फ्लू का इलाज आम तौर पर सम्भव है. एंटीवायरल दवाओं जैसे कि oseltamivir (Tamiflu) और zanamivir (Relenza) से इस संक्रमण को ठीक किया जा सकता है. ये दवाईयां इस संक्रमण को फैलने और अपनी संख्या बढ़ाने से रोकती है. यदि स्वाइन फ्लू होने के 48 घंटों के भीतर इन दवाओं का उपयोग शुरू कर दिया जाए तो इनका अच्छा असर होता है. लेकिन ये दवाईयां चिकित्सकों के निरीक्षण में ही लेनी होती है. इनके कुछ साइड इफैक्ट भी हैं जैसे कि जी मचलाना, ऊल्टी, बैचेनी आदि. यह दवाएं देश के सभी बड़े अस्पतालों में उपलब्ध है. सरकार ने स्वाइन फ्लू का इलाज प्राइवेट अस्पतालों में कराने की छूट देकर इसके इलाज के लिए और भी कई विकल्प खोल दिए हैं.
जिन्हें सबसे अधिक खतरा है:
स्वाइन फ्लू ने उन लोगों को सबसे अधिक खतरा है जिन्हें सांस की बीमारी है जैसे कि दमा. इसके अलावा जिन्हें हृदय की, यकृत की, न्यूरोलोजिकल बीमारी है, जिन्हें मधुमेह है उन्हें भी काफी खतरा है. इसके अलावा गर्भवती महिलाओं और 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों को भी काफी खतरा है.