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लवासा प्रोजेक्ट में क्या है गड़बड़झाला

आज़ादी के बाद देश में बनने वाला पहला हिल स्टेशन है लवासा. 100 स्क्वायर किलोमीटर में फैले औऱ अरबों के इस प्रोजेक्ट में कई गंभीर पेंच है. इस प्रोजेक्ट पर केंद्रीय मंत्री शरद पवार और जयराम रमेश आमने सामने हो गये हैं.

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आज़ादी के बाद देश में बनने वाला पहला हिल स्टेशन है लवासा. 100 स्क्वायर किलोमीटर में फैले औऱ अरबों के इस प्रोजेक्ट में कई गंभीर पेंच है. इस प्रोजेक्ट पर केंद्रीय मंत्री शरद पवार और जयराम रमेश आमने सामने हो गये हैं.

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महाराष्ट्र में पुणे शहर से करीब 70 किलोमीटर दूर पश्चिमी घाट की खूबसूरत वादियों में सपनों का शहर लवासा बनाया जा रहा है. दावा यह है कि ये शहर शिमला, नैनीताल, दार्जिलिंग और मसूरी जैसे हिल स्टेशनों को भी खूबसूरती में पीछे छोड़ देगा. लेकिन केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इस शहर के ऊपर सवाल खड़े कर दिए है.

50 अरब की लागत से बनाए जा रहे इस हिल स्टेशन में जहां आलीशान 5 स्टार होटल होंगे वहीं ऑक्सफोर्ड जैसी जानी मानी यूनिवर्सिटी का एक नया सेंटर यहां बनेगा. मॉल, बाज़ार, थिएटर और झील सब के सब स्विटजरलैंड की तर्ज पर यहां तैयार किए जा रहे है. लेकिन केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को इस खूबसूरती के पीछे खामियां भी नज़र आ रही है.

क्या है पर्यावरण मंत्रालय का कहना
* पर्यावरण कानून का सरे आम उल्लंघन किया गया.
* लवासा जैसे बड़े हिल स्टेशन के प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए पर्यावरण अनुमति सबसे अहम होती है.
* प्रोजेक्ट के लिए यह अनुमति देने का अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास है.

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उधर लवासा कॉरपोरेशन ने आजतक को एक लिखित जवाब में बताया है कि –
* लवासा शहर के लिए केंद्र सरकार की अनुमति की ज़रूरत नहीं है.
* कानून को तोड़ मरोडकर पेश किया जा रहा है.
* प्रोजेक्ट को राज्य सरकार से सभी अनुमतियां मिली हुई है.

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