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तेलंगाना के गठन पर मोदी ने किया सवाल, क्‍यों 9 साल तक चुप रही कांग्रेस

तेलंगाना पर फ़ैसले को लेकर नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है. मोदी ने ट्वीट करके कहा कि जिस मुद्दे पर कांग्रेस पिछले 9 सालों से टालमटोल कर रही थी, लोगों के आंदोलन की वजह से कांग्रेस को मजबूर होकर ये फ़ैसला लेना पड़ा.

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नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी

तेलंगाना पर फ़ैसले को लेकर नरेंद्र मोदी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है. मोदी ने ट्वीट करके कहा कि जिस मुद्दे पर कांग्रेस पिछले 9 सालों से टालमटोल कर रही थी, लोगों के आंदोलन की वजह से कांग्रेस को मजबूर होकर ये फ़ैसला लेना पड़ा. मोदी ने कहा कि आंध्र प्रदेश के लोगों का सामना करने की बजाय कांग्रेस कमेटी और रिपोर्टों के पीछे छुपी हुई थी. मोदी ने सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस इस देरी के लिए आंध्र प्रदेश के लोगों से माफ़ी मांगेगी.

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पढ़ें आंध्र प्रदेश के लोगों के नाम मोदी की पूरी चिट्ठी...

आंध्र प्रदेश के सभी क्षेत्रों के भाईयों एवं बहनों
नमस्कार
11 अगस्त को हैदराबाद में होने वाली एक जनसभा के जरिए मैं आप से बात करने वाला हूं. इस जनसभा में मैं आपसे तेलंगाना राज्य के मुद्दे तथा आंध्र प्रदेश के सभी क्षेत्रों के प्रति आपकी चिंताओं पर अपने विचार रखूंगा. पिछले 9 साल से कांग्रेस जिस मुद्दे से कन्नी काट रही थी, अचानक पिछले कुछ दिनों से इस मुद्दे के प्रति कांग्रेस का रुख और फैसला वाकई में चौकाने वाला है.

इसमें कोई दोमत नहीं है कि तेलंगाना राज्य के निर्माण को लेकर कांग्रेस का रवैया पारदर्शी नहीं रहा है. जो पार्टी और सरकार तेलंगाना की जनता को शुरू से ही ठगती आ रही उस पर अब भी भरोसा करना मुश्किल है. तेलंगाना राज्य के गठन का समर्थन बीजेपी शुरु से ही करती आ रही है. छोटे राज्यों के गठन के मामले में बीजेपी ही एकमात्र दल है जिसका रिकार्ड सबसे अच्छा है.

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अटल जी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने ही छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड राज्य का गठन किया था. मित्रों, ये वहीं कांगेस पार्टी है जो तेलंगाना राज्य के गठन का वायदा कर चुनाव में जीत हासिल की थी और पिछले 9 सालों से यहां की जनता की भावनाओं के साथ खिलवाड़ कर रही थी. और जब देश में फिर से कुछ महीनों बाद चुनाव होने वाले हैं, तो आनन-फानन में कांग्रेस ने तेलंगाना राज्य के गठन की घोषणा कर दी.

कांगेस का यह कदम तेलंगाना राज्य को लेकर उसकी गंभीरता और इरादे पर सवाल खड़े करती है. 2004 और 2009 में लगातार दो साल राज्य में कांग्रेस ने चुनाव जीता. इसके वावजूद तेलंगाना राज्य के गठन की प्रक्रिया की घोषणा को आनन-फानन में केंद्र सरकार ने वापस ले लिया. जब राज्य में इसको लेकर हिंसा का दौर चल रहा था, कानून-व्यवस्था बिगड़ रही थी, युवा आत्मदाह कर रहे थे तो ये कांग्रेस मूक दर्शक बनी सब कुछ देख रही थी. बीजेपी तेलंगाना राज्य के लिए उठाए गए हर कदम का स्वागत करती है. मगर क्या वाकई में यूपीए सरकार राज्य का गठन करेगी.

ऐसे मौके पर मैं यूपीए सरकार और कांगेस नेतृत्व कुछ सवाल पूछता हूं.
सवाल-1. कांग्रेस पार्टी में ही इसको लेकर आमसहमति क्यों नहीं है.
सवाल-2. हैदराबाद के तेलंगाना में होने के बावजूद इस साझा राजधानी क्यों बनाई गई है. राज्य की सीमा के बाहर राजधानी बेतुका है.
सवाल-3. क्या इस फैसले को लेकर आंध्र प्रदेश और रायलसीमा के लोगों को राजी करने की क्या कोशिश की गई
सवाल-4. इस बार भी तेलंगाना के लोगों के साथ धोखा नहीं होगा. क्या इसको लेकर कोई वायदा किया गया है?
सवाल-5.  तेलंगाना की वजह से निवेश प्रभावित होने पर कई युवाओं ने आत्महत्या कर ली और माना जा रहा है कि राज्य के बंटने से यहां किसान भी मुश्किल में आ जाएंगे. तो क्‍या आंध्र के लोगों से माफी मांगेगी कांग्रेस.

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