केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सोमवार को ऐतिहासिक फैसले लेते हुए जम्मू-कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाले अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया. गृह मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की मंजूरी के बाद संसद में यह प्रस्ताव रखा. अब अनुच्छेद 379(3) के तहत राष्ट्रपति ही अनुच्छेद 370 को खत्म कर सकते हैं. इसके लिए जम्मू-कश्मीर संविधान की अनुशंसा की जरूरत है.
एक अधिसूचना के जरिए जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा भंग करके उसकी शक्ति राज्य विधानसभा को दी गई. चूंकि विधानसभा की शक्ति अभी संसद के पास है इसलिए संसद में अनुच्छेद 370 की दो धाराओं को खत्म करने का प्रस्ताव लाया गया. संसद की मंजूरी और राष्ट्रपति की अधिसूचना के बाद यह खत्म हो जाएगी. अनुच्छेद 370 को खत्म करने की शक्ति अनुच्छेद 370 में ही है.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाने के लिए राज्यसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि राज्य अब दो केंद्र शासित प्रदेशों -लद्दाख और जम्मू कश्मीर में विभाजित हो जाएगा. जम्मू कश्मीर में विधानसभा होगी लेकिन लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी. राज्यसभा में इस ऐतिहासिक घोषणा के बाद हंगामा शुरू हो गया. शाह ने कहा, "मैं जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 के पहले खंड 370(1) को छोड़ कर बाकी इस अनुच्छेद को समाप्त करने का प्रस्ताव पेश करता हूं.