आपातकाल के 43 साल पूरे होने पर आज भारतीय जनता पार्टी देशभर में कांग्रेस के खिलाफ हल्लाबोल करेगी. भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह से लेकर कई केंद्रीय मंत्री देश के कई हिस्सों में प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी आपातकाल को लेकर आज कई सारे ट्वीट किए.
आपातकाल लागू होने के बाद देश में करीब दो साल तक नेताओं को बंदी बनाया गया, प्रेस की आजादी पर रोक लगाई गई और जबरन नसबंदी को लागू कराया गया. इसी दौर में संघर्ष और आंदोलन कर उभरे कई नेता आज देश में बड़े पदों पर हैं. नीतीश कुमार, रविशंकर प्रसाद, अरुण जेटली, लालू प्रसाद यादव समेत कई दिग्गज नेता इमरजेंसी के दौरान ही सभी की नजरों में आए.
लेकिन आज भी लोगों के मन में सवाल उठता है कि जब आपातकाल लागू था तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उस दौरान कहां थे और क्या कर रहे थे. पीएम मोदी ने खुद कई बार अपने भाषणों में आपातकाल के दौर का जिक्र किया है और इसकी आलोचना की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वेबसाइट narendramodi.in पर इमरजेंसी के दौर के कुछ किस्से बताए गए हैं.
क्या कर रहे थे PM मोदी?
आपातकाल लागू होने के बाद कई नेताओं को गिरफ्तार किया जा रहा था, उस दौरान आरएसएस पूरी तरह से सक्रिय था और अंडरग्राउंड रहकर काम कर रहा था. अन्य आरएसएस के प्रचारकों की तरह नरेंद्र मोदी को भी आंदोलन, सम्मेलनों, बैठकों, साहित्य का वितरण आदि के लिए व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी.
उन दिनों मोदी नाथा लाल जागडा के साथ-साथ वसंत गजेंद्र गाडकर के साथ सक्रिय रूप से काम कर रहे थे. इमरजेंसी के दौरान ही आरएसएस पर बैन भी लगा था और कई संघ के प्रचारकों को गिरफ्तार किया गया था. जब वरिष्ठ आरएसएस नेता केशव राव देशमुख को गुजरात में गिरफ्तार कर लिया गया तो मोदी योजना के अनुसार उसके साथ काम करने वाले थे लेकिन फिर देशमुख की गिरफ्तारी की वजह से ऐसा नहीं हो सका.
देश में 35 साल तक इमरजेंसी लागू रखना चाहते थे संजय गांधी, इंदिरा ने करा दिए चुनाव
भेष बदलकर काम कर रहे थे मोदी
लेकिन मोदी ने तभी आरएसएस के अन्य वरिष्ठ व्यक्ति नाथा लाल जागडा को उन्होंने एक स्कूटर पर ले जा कर सुरक्षित जगह पर पहुंचा दिया. इमरजेंसी के दौरान सूचना प्रसारण पूरी तरह से बंद था, लेकिन मोदी ने संविधान, कानून, कांग्रेस सरकार की ज्यादतियों के बारे में जानकारी युक्त साहित्य गुजरात से अन्य राज्यों के लिए जाने वाली ट्रेनों में रखवाई.
वेबसाइट पर बताया गया है कि मोदी लगातार भेष बदलकर जेल जाया करते थे, जबकि उन्हें गिरफ्तारी का खतरा बराबर था. इस दौरान वह जेल में नेताओं के लिए महत्वपूर्ण जानकारियां पहुंचाते थे.
26 जून को सुबह 8 बजे ऑल इंडिया रेडियो पर लोगों ने इंदिरा गांधी की आवाज जब सुनी तो आंखें खुली की खुली रह गईं. उन्होंने रेडियो पर अपने संबोधन में कहा, 'भाइयों और बहनों, राष्ट्रपति जी ने आपातकाल की घोषणा कर दी है. इससे आतंकित होने का कोई कारण नहीं है. प्रेसीडेंट ने इमरजेंसी लगा दी है. इससे घबराने की जरूरत नहीं है.'
तब से लेकर इंदिरा गांधी की चुनाव में शिकस्त और चुनाव जीत के साथ सत्ता में वापसी का लंबा दौर गुजर चुका है. आज 43 साल बाद बीजेपी ने इमरजेंसी के उस काले दौर पर विरोध का नया रंग चढ़ाने की तैयारी की है. कांग्रेस को इमरजेंसी का आईना दिखाने की कवायद जोर-शोर से शुरू हो चुकी है.