व्हाट्सऐप जासूसी मामले को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार पर एक बार फिर से करारा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि संसद में मेरे सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि व्हाट्सऐप जासूसी मामले को लेकर सामने आई रिपोर्ट भ्रामक है और बदनाम करने की साजिश है. हालांकि रविशंकर प्रसाद ने इस बात से इनकार नहीं किया कि सरकारी एजेंसी ने पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया है या नहीं?
औवैसी ने सवाल किया कि किस सरकारी एजेंसी ने पेगासस के स्पाईवेयर सॉफ्टवेयर को खरीदा और भारत में नागरिकों को निशाना बनाने के लिए इस्तेमाल किया? उन्होंने पूछा कि क्या गृह मंत्रालय के सचिव और मॉनिटरिंग कमेटी ने टेलीग्राफ एक्ट और आईटी एक्ट के तहत सर्विलांस की मंजूरी दी थी?
उन्होंने कहा कि कानून के मुताबिक व्हाट्सऐप ने पेगासस द्वारा जासूसी करने को लेकर सीईआरटी-इन को अलर्ट किया था. पहली बार व्हाट्सऐप ने मई और फिर सितंबर में अलर्ट किया था. इसके बाद सीईआरटी-इन ने क्या कदम उठाया और क्या दूसरी जिम्मेदार एजेंसियों ने इसकी जांच की और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की?
ओवैसी ने कहा कि पेगासस सॉफ्टवेयर को तैयार करने वाली एनएसओ की होल्डिंग कंपनी नोवलपिना कैपिटल ने साफ कहा है कि उसने इस सॉफ्टवेयर को सिर्फ सरकारी एजेंसियों को ही दिया है. अब सवाल यह है कि आखिर भारत में कौन सी एजेंसियों ने इसको लिया?
उन्होंने कहा कि पेगासस ने जासूसी करके जो डेटा जमा किया, उनको विदेशी सर्वर में स्टोर किया गया. सरकार लगातार डेटा का पता लगाने की बात कर रही है. सरकार ने भारतीय नागरिकों के डेटा को विदेशी सर्वर में स्टोर करने की इजाजत दी है. क्या सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा में लगे इस सेंध की जांच करेगी?
वहीं, अब इजरायली कंपनी पेगासस के स्पाईवेयर बनाकर जासूसी करने की जानकारी खुद व्हाट्सऐप ने सरकार को दी. इस जासूसी के जरिए भारत के कुछ पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया गया था. सरकार ने उम्मीद जताई है कि व्हाट्सऐप अपनी सिक्योरिटी वॉल को मजबूत करेगा और आगे से इस तरह की सिक्योरिटी ब्रीच बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
संसद में मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक एंड इन्फॉर्मेशन ब्रॉडकास्टिंग ने व्हाट्सऐप जासूसी मामले में जवाब देते हुए कहा कि भारत में 121 यूजर्स पेगासस द्वारा की गई इस जासूसी से प्रभावित हुए.