दिल्ली के जंतर-मंतर पर AAP विधायकों और समर्थकों को संबोधन के दौरान अरविंद केजरीवाल ने आम आदमी के दिल को छू लेने वाले वाकए सुनाए.
जब रिक्शा चलाने वाले ने दान किए 30 रुपये...
अरविंद केजरीवाल ने एक रिक्शेवाले का जो वाकया सुनाया, वो इस तरह है:
मैं एक महीने से रोड शो कर रहा था. एक दिन इस शो के दौरान एक गरीब आदमी आया. उसने जेब में हाथ डाला और जितने पैसे थे, सब दे दिए. बोला कि मैं रिक्शा चलाता हूं और सुबह से तीस रुपए कमाए हैं. ये मैं आपकी पार्टी को दान देना चाहता हूं. दोस्तों, ये चुनाव उस रिक्शे वाले ने लडा़ है. ये विजय बाबा ने लड़ा है, जो रिक्शा चलाते हैं और छह महीने से पार्टी के लिए बिना पैसा लिए रिक्शा चला रहे हैं.
एक कांग्रेसी कार्यकर्ता की मार्मिक चिट्ठी...
केजरीवाल ने कहा, 'आपमें बहुत से लोग हैं, जो पहले कांग्रेस और बीजेपी में थे. मगर अब सब अपनी पिछली पार्टियां छोड़कर देश के लिए लड़ रहे हैं. अभी दो मिनट पहले किसी ने बड़ी मार्मिक चिट्ठी दी है.' ऐसा कहकर उन्होंने एक चिट्ठी पूरी पढ़ डाली...
आदरणीय अरविंद जी. मेरा नाम बजरंग है, मैं रोहिणी का रहने वाला हूं. लॉ ग्रेजुएट हूं और कांग्रेस के लिए काम करता था. मन में बोझ है कि अपना कीमती समय ऐसी पार्टी के लिए लगाया, जो करप्शन में डूबी है. जब आपने आंदोलन शुरू किया तो लगता था कि एक अकेला चला भाड़ नहीं फोड़ सकता. पर आज लगता है कि भाड़ ही नहीं फोड़ सकता, चकनाचूर कर सकता है. जब 4 दिसंबर को वोटिंग के बाद मैं घर पहुंचा तो मेरे पांच साल के बेटे ने पूछा, कौन चुनाव जीता. मैंने कहा, बेटा रिजल्ट नहीं आया. वो बड़े उत्साह से बोला कि देखना हमारी झाड़ू जीतेगी. मुझे लगा कहीं गलत तो नहीं कर दिया. मैंने पूछा कि उसे क्या पता है. तो उसने कहा कि मेरे सभी दोस्त कह रहे हैं कि ये झाड़ू वाले देश बदल देंगे, बहुत अच्छे हैं. अगर मेरा बेटा ये नहीं कहता तो शायद मैं ये पत्र नहीं लिखता. अब बोझ कुछ कम हो गया है.