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आखिर नरेंद्र मोदी के पूर्वज कहां के रहने वाले थे?

बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी के बारे में कहा जाता है कि उनके पूर्वज राजस्थान से आकर गुजरात में बसे. लेकिन एक नई किताब के मुताबिक इस बात की संभावना भी है कि मोदी के पूर्वज बिहार से आए हैं.

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नरेंद्र मोदी
नरेंद्र मोदी

बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी के बारे में कहा जाता है कि उनके पूर्वज राजस्थान से आकर गुजरात में बसे. लेकिन एक नई किताब के मुताबिक इस बात की संभावना भी है कि मोदी के पूर्वज बिहार से आए हैं.

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इस बात के पीछे यह तर्क दिया जा रहा है कि बिहार के कई इलाकों में तेल निकालने वाली जाति है, जिसे वहां तेली कहा जाता है, वो मोदी सरनेम रखते हैं. बताया जाता है कि ये वहां के मूल बाशिंदे हैं और इनके भी परिवार के लोग वहां से कई राज्यों में चले गए हैं.

नरेंद्र मोदी के निजी और राजनीतिक जीवन पर लिखी गई एक किताब 'नरेंद्र मोदी द गेम चेंजर' में इन बातों का जिक्र किया गया है. इसके लेखक वरिष्ठ पत्रकार सुदेश वर्मा हैं, जिन्होंने इस किताब को लिखने से पहले मोदी के साथ कई बैठकें की और उनकी बातें सुनीं.उन्होंने लेखक को बचपन में हुई अपनी शादी के बारे में बताया और तो और उन्‍होंने अपने टखने भी दिखाए जिन्हें एक घड़ियाल ने तैरते समय जख्मी कर दिया था. लेखक ने इन बातों का विस्तार से वर्णन किया है.

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इस किताब में खासतौर से इस बात की चर्चा की गई है कि कैसे मोदी के प्रति मुसलमानों की भावना में बदलाव होता जा रहा है. इसके लिए उन्होंने कई मुस्लिम धर्मावलंबियों से बातचीत भी की. मसलन उन्होंने दावा किया है कि मोदी के कटु आलोचक जफर सरेशवाला और मुफ्ती एजाज अरशद कासमी अब मोदी के धुर विरोधी नहीं रह गए. वे उनकी कार्य शैली से खुश हैं ऐसे कई मुस्लिम नेताओं और लेखकों के नाम इसमे दिए गए हैं.

इतना ही नहीं लेखक का कहना है कि फिल्मकार महेश भट्ट ने भी मोदी के पक्ष में बयान दिया है. उनके बयान के बाद कांग्रेस उनसे नाराज हो गई और कुछ कांग्रेसियों ने उनसे बयान बदलने को कहा. लेखक ने जमीयत उलेमा ए हिन्द के मौलाना महमूद मदनी के उस प्रसिद्ध बयान को भी उद्धृत किया है जिसमें उन्होंने कहा था कि गुजरात के मुसलमान देश में सबसे ज्यादा सुरक्षित हैं.

लेखक ने स्वयं गुजरात जाकर वहां हो रहे विकास कार्यों को देखा. उन्होंने वहां खेती में हो रही तरक्की को भी देखा और बताया कि कैसे मोदी ने उद्योगों की प्रगति के साथ-साथ खेती को भी बढ़ावा दिया. कैसे वह राज्य हेल्थकेयर में काफी आगे बढ़ गया.

400 से भी अधिक पन्नों की इस किताब में सुदेश वर्मा ने मोदी के जीवन के पहलुओं पर प्रकाश डालने के अलावा विकास से जुड़े उनके काम काज का भी विस्तार से जिक्र किया है. इस किताब को लिखने में सुदेश को एक साल लगे और उन्होंने इसके लिए दर्जनों किताबें और शोध पत्र पढ़े. उन्होंने 100 से भी ज्यादा लोगों का इंटरव्यू किया.

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लेखक का मानना है कि अपनी उपलब्धियों से मोदी ने अपने को गेमचेंजर बना लिया है और भारत की राजनीति में आज वह एक विशाल वृक्ष की तरह खड़े हैं.

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