बाबूभाई पटेल उर्फ बाबू बजरंगी गुजरात में हुए दंगों के दौरान बजरंग दल का नेता था. गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों को लेकर बाबू बजरंगी हरदम चर्चा का केंद्र बना रहा.
2007 में तहलका के एक स्टिंग ऑपरेशन में बाबू बजरंगी को ये कहते दिखाया गया था कि उसने कैसे 2002 के नरोदा पाटिया नरसंहार में हुई मुस्लिमों की हत्या में अहम भूमिका निभाई थी.
दंगों के दो साल बाद बजरंगी विश्व हिंदू परिषद् में शामिल हो गए और उसके बाद विश्व हिंदू परिषद् छोड़कर शिवसेना का हिस्सा बन गए.
तहलका स्टिंग ऑपरेशन में बाबू बजरंगी ने क्या कहा था?इस स्टिंग ऑपरेशन में बाबू बजरंगी ने इस नरसंहार का कारण 27 फरवरी, 2002 को गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस में 59 कारसेवकों की जलने से हुई मौत को बताया था. बजरंगी ने तहलका से कहा, ‘जो कुछ भी हुआ मैं उसे बर्दाश्त नहीं कर सका और अगले दिन हमने उन्हें करारा जवाब दिया.’
तहलका रिपोर्टर ने जब यह पूछा कि क्या आप उस वक्त मौजूद थे जब नरसंहार को अंजाम दिया गया तो बाबू बजरंगी ने कहा, ‘हां, हां मैं उनके साथ था. गोधरा की घटना के बाद मैं नरोदा लौटा और हमने प्रतिशोध लिया.’
उसने कहा, ‘उन्हें मारने के बाद मैं लौटा, राज्य के गृह मंत्री को फोन किया और सो गया. मुझे लगा कि मैंने महाराणा प्रताप जैसा कुछ काम किया. मैंने उनके बारे में सुना था, लेकिन उस दिन मैंने वह कर दिखाया जो उन्होंने किया था.’