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कौन हैं हुस्‍नी मुबारक?

मिस्र में अपने 30 वर्ष के मजबूत शासन के दौरान हुस्नी मुबारक की हत्या की छह बार कोशिशें हुईं. वह ऐसी हर कोशिश में बाल-बाल बच गये लेकिन उन्हीं के अपने लोगों द्वारा काहिरा की सड़कों पर किये गये अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन के नतीजतन वह सत्ता से हटने के दबाव के आगे नहीं टिक सके.

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मिस्र में अपने 30 वर्ष के मजबूत शासन के दौरान हुस्नी मुबारक की हत्या की छह बार कोशिशें हुईं. वह ऐसी हर कोशिश में बाल-बाल बच गये लेकिन उन्हीं के अपने लोगों द्वारा काहिरा की सड़कों पर किये गये अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन के नतीजतन वह सत्ता से हटने के दबाव के आगे नहीं टिक सके.

बेहद जमीनी स्तर से 25 जनवरी से शुरू इस विरोध प्रदर्शन के पहले तक 82 वर्षीय मुबारक को अरब के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश के अजेय राष्ट्रपति के तौर पर देखा जाता था.

जब 1981 में अनवर सआदत की हत्या के बाद उन्होंने राष्ट्रपति पद संभाला तब काफी कम लोगों को उम्मीद थी कि बेहद कम पहचाने जाने वाले तत्कालीन उप राष्ट्रपति मुबारक इतने लंबे वक्त तक देश में बतौर राष्ट्राध्यक्ष सत्ता संभालेंगे.

काहिरा में सैन्य परेड के दौरान इस्लामी चरमपंथियों के हमले में जब सआदत की हत्या हुई तो मुबारक खुशकिस्मती से उसमें बाल-बाल बच गये. तब से अब तक उनकी जान लेने की छह बार कोशिशें हो चुकी हैं.

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वर्ष 1995 में इथोपिया की राजधानी अदिस अबाबा में मुबारक एक अफ्रीकी शिखर सम्मेलन में भाग लेने गये थे. उनके वहां पहुंचने के तुरंत बाद हुए हमले में वह बाल-बाल बच निकले. यह उन पर हुआ सबसे घातक हमला था. ..लेकिन अंत में वह अपनी ही जनता के गुस्से का शिकार हुए. यह घटनाक्रम मिस्र में बीते 18 दिन चला.{mospagebreak}

मुबारक ने सआदत की हत्या के आठ दिन बाद 18 अक्तूबर 1981 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी.

मिस्र की वायुसेना के कमांडर रहे मुबारक जनता के बीच कम अपील के बावजूद तीन दशक तक सत्ता संभालने में कामयाब रहे. उन्होंने खुद को पश्चिमी देशों के विश्वस्त सहयोगी के रूप में स्थापित किया ताकि इस्राइल के साथ शांति कायम रखी जा सके.

सत्ता के वषरें के दौरान मुबारक ने इस्राइल के साथ शांति कायम रखने की अलोकप्रिय नीति अपनाये रखी. उन्होंने पश्चिमी जगत के साथ भी रिश्ते बनाये रखे जिनके चलते सआदत की हत्या हुई थी.

मुबारक ने जब से सत्ता संभाली, उन्होंने अर्ध सैन्य नेता के रूप में शासन किया. उन्होंने देश को आपातकाल संबंधी कानून के तहत रखा, जिसके नतीजतन देश में बुनियादी अधिकारों पर अंकुश लगाने की असीम शक्तियां मिल जाती हैं. उन्होंने दलील दी कि इस्लामी चरमपंथियों से निपटने के लिये कठोर कानून जरूरी है. उनका मानना रहा कि इस्लामी चरमपंथ देश के पर्यटन के लिये घातक होगा.

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अपने शक्तिशाली सहयोगी देश अमेरिका के जोर दिये जाने के बीच मुबारक अपने शासनकाल में पहली बार देश में लोकतंत्र को बढ़ावा देने के दबाव में आ गये.

मुबारक वर्ष 1981 के बाद से तीन चुनावों में निर्विरोध निर्वाचित हुए. उन्होंने वर्ष 2005 में चौथी बार लड़े चुनाव में प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों को खड़ा होने की अनुमति देने के लिये व्यवस्था में बदलाव कर दिया.

कभी भी धूम्रपान या मद्यपान नहीं करने वाले मुबारक ने खुद की छवि स्वस्थ जीवन जीने वाले नेता के रूप में स्थापित की.{mospagebreak}

मुबारक के करीबी अक्सर उनकी जीवनशैली के बारे में शिकायत करते थे क्योंकि उनका दिन जिम में कसरत करने या स्क्वॉश खेलने से शुरू होता था. उन्होंने निवेश बैंकर रहे अपने 40 वर्षीय पुत्र गमाल मुबारक को अगला नेता बनाने के लिये तैयार किया और एनडीपी में उनका ओहदा बढ़ाया गया. लेकिन प्रदर्शनकारियों ने उनकी इस महत्वाकांक्षी योजना को खत्म कर दिया.

वर्ष 1928 में काहिरा के निकट मेनोफया प्रांत के एक छोटे गांव में जन्मे मुबारक की ब्रितानी मूल की महिला सुजेन मुबारक से शादी हुई. उनके दो पुत्र हैं.

जनता के बीच कम अपील और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम रूतबा रखने के बावजूद सैन्य अफसर रहे मुबारक ने सआदत की हत्या के लिये जिम्मेदार रहे मुद्दे यानी इस्राइल के साथ शांति का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक कौशल रखने वाले व्यक्ति के रूप में खुद की छवि बनाने में इस्तेमाल किया.

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इसके प्रभाव स्वरूप विश्व में सबसे लंबे समय तक शासन करने वाले राष्ट्राध्यक्षों में शामिल मुबारक ने सत्ता हासिल करने के बाद अर्ध सैन्य नेता के रूप में शासन किया. अपने पूरे शासनकाल में उन्होंने देश को आपातकाल में रखा और गिरफ्तारी करने तथा मूल अधिकारों को निलंबित करने के असीम अधिकार हासिल कर लिये.

उन्होंने मिस्र के घरेलू स्थिरता और आर्थिक विकास वाले दौर का नेतृत्व किया. इसके नतीजतन उनके देश के अधिकतर नागरिकों ने मिस्र में उनकी एकाधिकार वाली सत्ता को स्वीकार किया.{mospagebreak}

हालिया वषरें में मुबारक पहली बार लोकतंत्र को बढ़ावा देने के दबाव में आये. यह दबाव उन पर मिस्र के भीतर से और उनके सबसे शक्तिशाली सहयोगी अमेरिका की ओर से था.

आलोचकों का कहना है कि मुबारक ने चौथी बार जो चुना लड़ा उसमें उन्हें तथा नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी को पुरजोर समर्थन मिला.

आलोचकों का आरोप है कि मुबारक को यह समर्थन इसलिये मिला क्योंकि उन्होंने विपक्षी समूहों और खासकर मुस्लिम ब्रदरहुड का दमन करने के अभियान की अगुवाई की. पूर्व में मुबारक ने कहा था कि वह अपनी अंतिम सांस तक मिस्र की सेवा करते रहेंगे.

एक फरवरी के अपने भाषण में उन्होंने कहा था, ‘यह प्रिय राष्ट्र.. जहां मैं जन्मा हूं, जिसके लिये मैं लड़ा हूं और जिसकी माटी, संप्रभुता तथा हितों की मैंने हिफाजत की है, उस राष्ट्र की ही सरजमीं पर मेरी मौत होगी. इतिहास मुझे वैसे ही आंकेगा, जैसा दूसरों को आंका जाता है.’

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