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कोयला घोटाला: कागजात बढ़ा सकते हैं सरकार की मुश्किलें

कौन है मनोज जायसवाल. कोयला ब्लाक आवंटन में आजकल ये नाम सुर्खियों में है, क्योंकि 57 में 8 कोल ब्लाक मनोज जायसवाल की ही अलग–अलग 5 कंपनियों को आवंटित किए गए हैं. आजतक के हाथ इससे जुड़े कागजात लगे है जिससे इस घोटाले को लेकर और भी खुलासे होते हैं.

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कौन है मनोज जायसवाल. कोयला ब्लाक आवंटन में आजकल ये नाम सुर्खियों में है, क्योंकि 57 में 8 कोल ब्लाक मनोज जायसवाल की ही अलग–अलग 5 कंपनियों को आवंटित किए गए हैं. आजतक के हाथ इससे जुड़े कागजात लगे है जिससे इस घोटाले को लेकर और भी खुलासे होते हैं.

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कोयले पर ऐसा हंगामा उठा है कि संसद तक ठप हो गय़ी है. रोज़ नए-नए सवाल उठ रहे है. सीबीआई भी जांच में झोंक दी गयी है. लेकिन इस तमाम गहमागहमी के बीच आजतक के हाथ कुछ ऐसे दस्तावेज़ लगे हैं जो सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं.

कागज़ात बताते हैं कि आवंटित किए गए 57 कोल ब्लॉक्स में से आठ ब्लॉक नागपुर के एक ही परिवार को दिए गए. ये परिवार है मनोज जयसवाल का. उनकी पांच कंपनियां अभिजीत इन्फ्रास्ट्रक्चर, जेएएस इन्फ्रास्ट्रक्चर, जयसवाल नेको, कॉर्पोरेट इस्पात और जेएलडी यमतवाल को सरकार ने झारखंड और छत्तीसगढ़ में आठ कोयला ब्लॉक आवंटित किए.

इन कंपनियों को कोल ब्लाक्स 2005 से 2009 के बीच आवंटित किए गए. लेकिन जानकार बताते है कि एक ही परिवार को 57 में से 8 कोल ब्लॉक्स आवंटित होना पूरी प्रक्रीया पर सवाल खड़े करते हैं. इस मुद्दे पर आजतक ने मनोज जयसवाल से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने कैमरे पर आने से मना कर दिया.

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बताया जाता है कि मनोज जयसवाल मौजूदा कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल के दूर के रिश्तेदार हैं. सूत्र बताते हैं कि मनोज श्रीप्रकाश जयसवाल के समधी के भाई के दामाद हैं. हांलाकि कोयला मंत्री इस रिश्तेदारी से इनकार कर रहे हैं. सच ये भी है कि जिन दिनों ये आवंटन हुआ था तब श्रीप्रकाश जयसवाल कोयला मंत्री नहीं थे.

वैसे सवालों के घेरे में कांग्रेस के एक और नेता हैं- राज्य सभा सांसद विजय डरडा. बताया जा रहा है कि मनोज जयसवाल की जिन कंपनियों को आठ कोल ब्लॉक्स आवंटित किए गए उनमें डरडा परिवार की भी हिस्सेदारी है. सरकारी कागज़ात बताते हैं कि मनोज जयसवाल की पांच कंपनियों में से एक जेएलडी यवतमाल एनर्जी नाम की कंमनी में डारडा परिवार की 50 फीसदी हिस्सेदारी है. इसी कंपनी को छत्तीसगढ़ में फतेहपुर इस्ट नाम का कोयला ब्लॉक आवंटित किया गया था.

हैरानी इस बात की भी है कि जेएलडी यवतमाल एनर्जी नाम की जिस कंपनी को 2008 में कोयला ब्लॉक मिला वो कंपनी रजिस्टर हुई थी दिसंबर 2006 में. यानी महज दो साल पुरानी कंपनी को कोल ब्लॉक का आवंटन किया गया. एक और अहम बात उस वक्त पूरे डारडा परिवार को ना तो माइनिंग का अनुभव था और ना ही एनर्जी सेक्टर का.

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जाहिर है ऐसे में कोल आवंटन की स्क्रीनिंग कमिटी पर भी सवाल जरूर उठेंगे ही. मनोज जयसवाल और उनके परिवार के कई सदस्य इन कंपनियों में हिस्सेदारी रखते है. पूरा परिवार नागपुर के ऊषा सदन में रहता है. निश्चित तौर पर कांग्रेस के लिए ये एक बड़ा सिर दर्द साबित होगा क्योंकि अब परतें खुलनी शुरू हो गई हैं जिसमें साफ दिख रहा है कि कोल ब्लाक आवंटन में कांग्रेस से जुड़े लोगों को फायदा पहुचाया गया है.

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