अपनी बेबाक राय रखने के लिए मशहूर मार्कंडेय काटजू वर्तमान में प्रेस कांउसिंल ऑफ इंडिया के चेयरमैन हैं. इससे पहले काटजू सु्प्रीम कोर्ट के जज रह चुके हैं.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 20 सितंबर 1946 को जन्मे काटजू का परिवार कश्मीर से ताल्लुक रखता है. बचपन से ही पढ़ने के शौकीन काटजू ने 1967 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री ली. काटजू उस परीक्षा में मेरिट लिस्ट में सबसे ऊपर आए थे.
1991 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज बनने के बाद काटजू तीन उच्च न्यायलायों (इलाहाबाद हाईकोर्ट, 2004, मद्रास हाईकोर्ट, 2004 और दिल्ली हाईकोर्ट, 2005) के चीफ जस्टिस बने. 2006 से लेकर 2011 तक काटजू सुप्रीम कोर्ट के जज रहे. अपने एक बयान में काटजू ने भारत के 90 प्रतिशत लोगों को बेवकूफ बताया था. उन्होंने कहा कि भारत में लोग जाति के आधार पर चुनाव में वोट देते हैं. उन्होंने फूलन देवी का उदाहरण देकर बताया कि एक समय की कुख्यात डाकू रहीं फूलन भी चुनाव जीतकर संसद पहुंच जाती हैं.
मीडिया के घोर आलोचक काटजू ने टीवी चैनलों को लताड़ते हुए कहा था कि चैनल जनता के हितों के मुद्दों को ना दिखाकर क्रिकेट, फिल्म और ज्योतिष दिखाकर लोगों का ध्यान भटकाते हैं. इन्हीं बयानों के बाद ऐश्वर्या राय बच्चन के बच्चे के जन्म पर टीवी चैनलों ने कोई ब्रेकिंग न्यूज नहीं चलाया था.
भारतीय कानून को 20 साल तक सेवा देने वाले काटजू का परिवार भी काफी ख्याति प्राप्त है. उनके पिता एस. एन. काटजू इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज थे. काटजू के दादाजी कैलाश नाथ काटजू मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के साथ-साथ पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के राज्यपाल भी थे.
सुप्रीम कोर्ट के गलियारे में काटजू एक सप्ताह में 100 से ज्यादा मामलों को निपटाने के लिए जाने जाते थे.
अभी हाल ही में अग्रेजी के एक अखबार में नरेंद्र मोदी को लेकर लिखे गए एक कॉलम में उन्होंने लिखा कि भारत के लोगों को अपनी सूझबूझ और विवेक से अपना प्रधानमंत्री चुनना चाहिए. उन्होंने नरेंद्र मोदी को गुजरात में हुए दंगों के लिए जिम्मेदार भी ठहराया.