scorecardresearch
 

संघ के निशाने पर कौनः बीजेपी या बेदी

आरएसएस ने अपने मुखपत्र ऑर्गेनाइजर में एक लेख छापा है. लेख का विशलेषण करने वालों को लगता है कि संघ इसके माध्यम से बीजेपी या किरण बेदी पर दबाव बनाना चाहता है. संघ का मानना है कि दिल्ली चुनाव में बीजेपी जमीनी हकीकत से घबराई हुई थी.

Advertisement
X

आरएसएस ने अपने मुखपत्र ऑर्गेनाइजर में एक लेख छापा है. लेख का विशलेषण करने वालों को लगता है कि संघ इसके माध्यम से बीजेपी या किरण बेदी पर दबाव बनाना चाहता है. संघ का मानना है कि दिल्ली चुनाव में बीजेपी जमीनी हकीकत से घबराई हुई थी. बीजेपी संगठन ने पहले दिल्ली की जनता से फीडबैक लिया. और फिर किरण बेदी को सीएम पद का उम्मीदवार बनाया. क्या ऑर्गेनाइजर में छपे लेख का मतलब ये निकाला जाए कि बीजेपी और किरण बेदी को फिर से अपने काम की समीक्षा करनी होगी?

Advertisement

बीजेपी में शामिल होने के तीन दिन बाद 18 जनवरी को पार्टी ने किरण बेदी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया था. तब संघ प्रमुख मोहन भागवत के नाराज़ होने की खबरें भी आईं थी. लेकिन इस बात के महज चार दिन बाद ही किरण बेदी ने संघ की तारीफ में कसीदे पढ़े थे. उन्होंने संघ को राष्ट्रवादी संगठन बताया था. कहा था कि संघ ने देश को एकता में बांध रखा है. बेदी के इस बयान को संघ को साधने की कोशिश के रूप में देखा गया.

दरअसल, बेदी ने भगवा पार्टी का दामन तो थाम लिया लेकिन उनकी कई ऐसी बाते हैं जो संघ को पंसद नहीं आ रही हैं. मसलन...

1. किरण बेदी का संघ से कोई नाता नहीं है. इसके उलट वे टीम अन्ना के रणनीतिकारों में से एक रही हैं.
2. बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने संघ से जुड़े कई बीजेपी नेताओं को दरकिनार कर उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बना दिया. बीजेपी में अंदरूनीतौर पर उनके खिलाफ माहौल बना हुआ है.
3. भाजपा नेताओं को काम करने की शिक्षा संघ की पाठशाला में ही मिलती है, लेकिन बेदी के काम करने का अंदाज अब भी पुलिसिया है. ऐसे में दोनों में तालमेल नहीं बन रहा है.
4. बीजेपी संगठन में काम करने वाले अधिकतर बड़े नेता या मुख्यमंत्री पदों के उम्मीदवार संघ के रास्ते ही पार्टी में आते हैं. उन्हें पार्टी की नीति और दिशा का अच्छे से ज्ञान होता है. लेकिन किरण बेदी के साथ ऐसा कुछ नहीं है
5. 65 साल की किरण बेदी ने लोकसेवा में भले ही जीवन खपाया हो, लेकिन राजनीति को लेकर उनकी कमजोर पकड़ दिखाई देती है.
6. चुनाव प्रचार के दौरान किरण बेदी विपक्षियों को कारगर जवाब दे पाने में असफल नजर आ रही है.

Advertisement

संघ की नजर भाजपा और बेदी दोनों पर है. ऑर्गेनाइजर के इस लेख में उन्होंने किरण बेदी को लेकर भले बीजेपी की खिंचाई की है, लेकिन दबाव किरण बेदी पर भी बनाया है. वक्त है, वे कुछ कर दिखाएं.

Advertisement
Advertisement