सोमवार को ग्रीनपीस इंडिया की ओर से देश के 280 शहरों पर वार्षिक रिपोर्ट एयरपोलिक्स- 2 जारी गई. ग्रीनपीस इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का एक भी शहर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयूएचओ) के मानकों को पूरा नहीं करता है. इतना ही नहीं 80 फीसदी शहर केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानक को भी पूरा नहीं करते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 55 करोड़ लोग ऐसे स्थानों पर रहते हैं, जहां PM10 का स्तर राष्ट्रीय मानक से अधिक है. साथ ही उनमें से 18 करोड़ लोग केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के द्वारा तय सीमा 60 µg/m3 से दोगुने ज्यादा प्रदूषण स्तर वाले इलाके में रहते हैं.
बता दें कि देश में दिल्ली सबसे प्रदूषित शहरों की लिस्ट में नंबर एक पर है. वहीं पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र बनारस 6वें नंबर पर, गाजियाबाद 7वें नंबर पर, कानपुर 17वें नबंर पर है.
ग्रीनपीस के सीनियर कैंपेनर सुनील दहिया ने कहा, 'जब हम भारत में वायु प्रदूषण के बारे में बात करते हैं, तो सबसे पहले ध्यान दिल्ली पर जाता है. लेकिन कई और भी शहर ऐसे हैं जो वायु प्रदूषण के मामले मुश्किल से ही बेहतर हैं. अगर औसत PM10 स्तर के आधार पर रैंकिग देखें तो दिल्ली 290 µg/m3 के साथ नंबर एक पर बना हुआ है. वहीं फरीदाबाद, भिवाड़ी, पटना, देहरादून क्रमश: 272, 262 261, 238 290 µg/m3 के साथ दिल्ली से थोड़े से ही पीछे हैं.'
डब्ल्यूएचओ ग्लोबल अर्बन एंबियंट एयर पॉल्यूशन डाटाबेस 2014 के अनुसार 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से 13 शहर भारत के हैं.
प्रदूषित हवा की चपेट में बच्चे
रिपोर्ट के मुताबिक, देश में 5.9 करोड़ बच्चे जिनकी उम्र 5 साल से कम है, ऐसे स्थानों पर रहते हैं, जहां सीपीसीबी द्वारा तय मानक से PM10 का स्तर अधिक है और प्रदूषित हवा की चपेट में है.
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक और प्रवक्ता डॉ डी साहा ने कहा कि 87 स्टेशनों को वायु गुणवत्ता सूचकांक के साथ एकीकृत किया गया है.
उन्होंने कहा, "इस साल के अंत तक, हम 221 स्टेशन स्थापित करने की योजना बना रहे हैं. इस योजना का उद्देश्य पहले सबसे अधिक आबादी वाले महानगरों को लक्षित करना है. इसके बाद लाखों से अधिक आबादी वाले शहर और राज्य की राजधानियों के साथ-साथ शहरों की समस्याओं को लक्षित करना है.