जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी मोहम्मद अफजल गुरु जो भारतीय संसद पर हमले का दोषी था, उसे 9 फरवरी को फांसी दे दी गई. 13 दिसंबर 2001 में भारतीय संसद में हमले के मास्टरमाइंड अफजल को सुप्रीम कोर्ट ने 2002 में ही फांसी की सजा सुना दी थी.
जम्मू और कश्मीर के बारामूला जिले का रहने वाला अफजल गुरु वारदात के समय एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था. आईएएस की परीक्षा की तैयारी करने वाला अफजल बाद में जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट का सदस्य बना और वहीं से उसने आतंकी ट्रेनिंग ली.
मूल रूप से कश्मीर के सोपोर का रहने वाला अफजल अपने काम के सिलसिले में तारिक नाम के शख्स से मिला, जिसने उसे जिहाद के लिए उकसाया. बाद में तारिक ने ही उसे पाकिस्तान स्थित गाजियाबाद में अन्य आतंकियों से मिलाया. वहां पर अफजल को फिदाइन हमले की ट्रेनिंग दी गई.
संसद हमले में जैश-ए-मोहम्मद के साथ लश्कर-ए-तैयबा के भी आतंकी थे. इस हमले में एक महिला कांस्टेबल सहित सात सुरक्षा जवान मारे गए थे.
देश के प्रतिष्ठित साप्ताहिक मैगजीन इंडिया टुडे ने लोगों के बीच एक सर्वे कराया था जिसमें 78 फीसदी जनता चाहती थी कि अफजल गुरु को फांसी जल्दी से जल्दी होनी चाहिए.
इससे पहले पिछले साल 21 नवंबर 2012 को मुंबई हमले के एकमात्र जीवित आतंकी अजमल कसाब को फांसी दे दी गई थी.