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आखिर कौन बनेगा कर्नाटक का मुख्‍यमंत्री?

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती दिख रही है. चुनावी रुझानों से साफ है कि कर्नाटक की कुर्सी पर एक बार फिर कांग्रेस का कब्‍जा होने जा रहा है.

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जी परमेश्‍वर
जी परमेश्‍वर

कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती दिख रही है. चुनावी रुझानों से साफ है कि कर्नाटक की कुर्सी पर एक बार फिर कांग्रेस का कब्‍जा होने जा रहा है.

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चुनाव परिणाम के मुख्य अंश | विधानसभा क्षेत्र के अनुसार परिणाम

जीत के जश्‍न के बीच अब राज्‍य के मुख्‍यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस में माथापच्‍ची शुरू हो गई है. सूत्रों के मुताबिक पार्टी दलित नेता पर दांव खेलने की तैयारी में है और केंद्रीय श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन रेस में सबसे आगे बताए जा रहे हैं.

कांग्रेस साफ-सुथरी छवि वाले दलित नेता और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री वीरप्‍पा मोइली के हाथों में भी कर्नाटक की कमान सौंप सकती है. मोइली 1992-1994 के बीच राज्‍य के मुख्‍यमंत्री रह चुके हैं. उन्‍हें एक अच्‍छे शासक के तौर पर जाना जाता है. लेकिन जब वो मुख्‍यमंत्री थे तब कुछ और बात थी, लेकिन अब राजनीति 20 साल आगे बढ़ चुकी है.

केंद्रीय मंत्री केएस मुनियप्‍पा भी मुख्‍यमंत्री पद की रेस में है. केंद्रीय मंत्री मुनियप्‍पा कोलार से लगातार 6 बार सांसद रह चुके हैं. यही नहीं उन्‍हें दलित होने का भी फायदा मिल सकता है. मुनियप्‍पा ने आज कर्नाटक की जीत का श्रेय कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी को देते हुए कहा है, 'मेरी मुख्‍यमंत्री पद की उम्‍मीदवारी के लिए मैडम सोनिया ही फैसला करेंगी.'

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मुख्‍यमंत्री पद के लिए केंद्रीय श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन की दावेदारी को एक और दलित नेता सिद्धारमैया कड़ी टक्‍कर दे सकते हैं. वे मैसूर के ताकतवर दलित नेता हैं और 2006 में कांग्रेस में शामिल हुए थे. इससे पहले वे जेडीएस में थे और यही बात उनके आड़े आ सकती है.

इसके अलावा मुख्‍यमंत्री की रेस में कर्नाटक कांग्रेस के अध्‍यक्ष जी परमेश्‍वर भी सबसे आगे माने जा रहे हैं. कर्नाटक में कांग्रेस की वापसी का श्रेय परमेश्‍वर की मेहनत को दिया जा रहा है. हालांकि समर्थन और अनुभव की कमी चार बार विधायक रह चुके परमेश्‍वर के आड़े आ सकती है.

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