देश में एक और आरक्षण की मांग के साथ एक और नायक उभर रहा है. 22 साल का नौजवान हार्दिक पटेल . हार्दिक को सुनने अहमदाबाद की पटेल रैली में लाखों लोगों की भीड़ उमड़ी. ज्यादातर युवा. इस कॉमर्स ग्रेजुएट को इतनी भीड़ किसी महानायक की तरह सुनती रही. क्यों, 5 वजहें...
1. हार्दिक मेरे जैसा है. युवा. जोशीला. वाइब्रैंट. आक्रामक. वो नेता नहीं है, पर लीडर की तरह हक की लड़ाई लड़ने की बात करता है. साढ़ा हक, ऐत्थे रख के अंदाज में.
2. वह मुझमें एक अलग किस्म का भरोसा जगाता है. उम्मीदों से भर देता है. नेताओं जैसी बातें नहीं करता, मगर नए युवा नेतृत्व का विकल्प दिखाता है.
3. वह वादे नहीं करता. काम करने में भरोसा रखता है. लक्ष्य हासिल करने के लिए किसी से भी टकराने का माद्दा रखता है और वही मुझमें भी भर देता है.
4. वह मेरी आंखों में आंखें डालकर बात करता है. कागज पर लिखा भाषण नहीं पढ़ता. बीच-बीच में गुजराती बोलकर मुझे सीधे खुद से जोड़ लेता है.
5. वह लौहपुरुष सरदार पटेल की बात कर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह बीच-बीच में मुझसे संवाद कर, नारे लगवाकर मुझमें जोश भर देता है.