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अरविंद केजरीवाल भगोड़ा हैं, तो क्या किरण बेदी भी...

अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद छोड़कर गए तो उन पर भगोड़ा होने का आरोप लगा, लेकिन अहम जिम्मेदारियां मिलने पर बेदी ने भी ऐसा ही किया.

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किरण बेदी
किरण बेदी

किरण बेदी की कई खासियतें हैं, जिससे लोग प्रभावित होते हैं. जैसे वे बहादुर अफसर रही हैं. नेतृत्व की क्षमता है. लेकिन उनका एक पहलू और है. अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद छोड़कर गए तो उन पर भगोड़ा होने का आरोप लगा, लेकिन अहम जिम्मेदारियां मिलने पर बेदी ने भी ऐसा ही किया. ऐसे में राजनीति में आने के बाद उनके अतीत से जुड़े कुछ सवाल फिर खड़े होना लाजमी हैं-

कॅरियर पर सवाल-
1. चर्चा रही है कि नौकरी के दौरान उन्होंने चार पोस्टिंग पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं किया. ये हैं गोवा एसपी, मिजोरम डीआईजी, तिहाड़ जेल आईजी और आईजी चंडीगढ़ का पद. इनमें से गोवा और मिजोरम की पोस्टिंग तो उन्होंने बिना अनुमति के पूरी नहीं की. तो क्या वे भी भगोड़ा रही हैं?
2. मिजोरम के तत्कालीन गवर्नर ने पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जताई थी कि उन्होंने बिना अनुमति के संवेदनशील जानकारियां मीडिया को लीक कर दीं. इतना ही नहीं, तब राष्ट्रपति वेंकटरमन के मिजोरम दौरे को लेकर गवर्नर ने आईबी से कहा था कि वे इसकी जानकारी किरण बेदी को न दें, क्योंकि वह इस यात्रा में अड़ंगा खड़ा कर सकती हैं. क्या यह उत्कृष्ट कॅरिअर की निशानी हो सकती है?
3. चंडीगढ़ में 41 दिन ही वे आईजी पद पर रहीं. गृह मंत्रालय ने उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए थे. इतना ही नहीं, उन पर यह भी आरोप लगा कि उन्होंने कुछ सस्पेंशन ऑर्डर को लेकर जूनियर अफसरों को शासन के खिलाफ भड़काया और बगावत खड़ी करने की कोशिश की. क्या ये सच है?

एनजीओ को लेकर बवाल-
वे मुंबई के एक कार्यक्रम में गईं, जिसके लिए उन्होंने आयोजकों से बिजनेस क्लास की हवाई यात्रा का खर्च मांगा. लेकिन सफर इकोनॉमी क्लास में किया. इतना ही नहीं, उन्हें जो गैलेंट्री अवार्ड मिले हैं, उसके बदले उन्होंने डिस्काउंट भी लिया. बिजनेस क्लास टिकट का खर्च लेने की बात उजागर हुई तो उन्होंने सफाई दी कि यह पैसा मैंने अपने एनजीओ इंडिया विजन फाउंडेशन के लिए बचाया था. इन आरोपों के बाद उनके एनजीओ के एक ट्रस्टी ने बेदी से नाराज होकर इस्तीफा ही दे दिया. तो क्या वे सेवा की आड़ में भ्रष्टाचार कर ही थीं?

लोकपाल बिल को लेकर अड़ियल रहीं-
लोकपाल बिल को लेकर हुए आंदोलन में उन पर आरोप लगा कि उन्होंने अन्ना और उनके बाकी साथियों को सरकार से बात न करने के लिए उकसाया. और उन्हीं के कारण दिल्ली में अराजकता की स्थिति बनी. उन पर यह भी आरोप था कि उन्होंने खुद की राजनीतिक जमीन तैयार करने के लिए इस मुद्दे को जल्दी हल नहीं करने दिया. संसद ने उनके खिलाफ विशेषाधिकार हनन के मामले में नोटिस देने का फैसला लिया था, जो बाद में टाल दिया गया.

वे आप की ओर से भी तो सीएम उम्मीदवार हो सकती थीं?
अगस्त 2013 में अरविंद केजरीवाल ने खुलेतौर पर किरण बेदी को आमंत्रण देते हुए कहा था कि वे आम आदमी पार्टी ज्वाइन करें और दिल्ली में हमारी पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवार बनें. तब तक मोदी का जादू चलने लगा था. बेदी ने चुप्पी साधे रखी. तब बेदी तो क्या, किसी को भी अंदाज नहीं था कि आप दिल्ली में 28 सीट ले आएगी और सरकार भी बनाएगी. बेदी उस समय तो अन्ना हजारे का साथ छोड़ने के लिए केजरीवाल की आलोचना करती थीं. लेकिन अब जब उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर ली है तो अन्ना हजारे कह रहे हैं कि बेदी ने ऐसा उनसे पूछकर नहीं किया.

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