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राम माधव ने क्यों कहा? 'हिटलर और मुसोलिनी भी लोकतंत्र के प्रोडक्ट थे'

बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तथा जम्मू-कश्मीर के प्रभारी राम माधव ने गुरुवार को नई दिल्ली में वैश्विक सम्मेलन के दौरान कहा कि हमलोग एक मजबूत और वाइब्रेंट लोकतांत्रिक देश हैं. हालांकि मैं ऐसा नहीं कह रहा हूं कि यहां कमियां नहीं है. लेकिन हमारा झुकाव हमेशा लोकतंत्र की तरफ रहेगा.

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राम माधव (India today)
राम माधव (India today)

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  • कइयों के पास CAA के बारे में जानकारी और सूचना है
  • भारत का संविधान सभी नागिरकों को अधिकार देता है

देश में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर लोगों का विरोध प्रदर्शन जारी है. वहीं कई अन्य देश भी इस मुद्दे को लेकर भारत पर नजर बनाए हुए हैं. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय महासचिव और जम्मू-कश्मीर के प्रभारी राम माधव ने गुरुवार को नई दिल्ली में वैश्विक सम्मेलन के दौरान कहा कि हमलोग एक मजबूत और वाइब्रेंट लोकतांत्रिक देश हैं. हालांकि मैं ऐसा नहीं कह रहा हूं कि यहां कमियां नहीं है. लेकिन हमारा झुकाव हमेशा लोकतंत्र की तरफ रहेगा.

लोकतंत्र पर सियायत न हो

राम माधव ने कहा कि विश्व में कहीं भी देख लीजिए, लोकतंत्र का कोई एक मॉडल नहीं है. अब हिंद-प्रशांत क्षेत्र को ही देख लीजिए, वहां पर कई तरह के लोकतांत्रिक मॉडल हैं. हां, मैं मानता हूं कि लोकतंत्र विश्व की सबसे जिम्मेदार सरकार का एक स्वरूप है. भारत ने पड़ोसी देशों को भी लोकतंत्र बहाल करने के लिए हरसंभव मदद की है. लेकिन लोकतंत्र का इस्तेमाल राजनीति, या हथियार के तौर पर नहीं करना चाहिए.

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नागरिकता संशोधन कानून को लेकर जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'कइयों के पास इस बारे में जानकारी और सूचना है. लेकिन हमलोग पढ़ते नहीं हैं. कम से कम नागरिकता कानून के संदर्भ में ऐसा कहा जा सकता है. यह कानून 1955 के नागरिक कानून के आलोक में है. कानून बनाने और उसमें संशोधन करने में फर्क होता है. भारत के पास एक शानदार संविधान है जो देश के सभी नागिरकों को अधिकार देता है. किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया है. अगर आप यह मुद्दा उठा रहे हैं इसका मतलब है कि यहां पर चेक और बैलेंस है. हिटलर और मुसोलिनी भी लोकतंत्र के प्रोडक्ट हैं.'

आलोचना का स्वागत, हिंसा का नहीं

उन्होंने आगे कहा कि आलोचना का स्वागत है लेकिन अपने मुद्दे  को सही जगह पर उठाने का एक तरीका है, हिंसा करना ठीक नहीं है.  बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव ने कहा कि लोकतंत्र के भविष्य को लेकर किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है. पिछले सात दशकों से भारत के  लोगों ने इसको संभाल के रखा है. आगे भी इसमें विकास होता रहेगा.

वहीं जब उनसे लोकतंत्र को सफल बनाने के तरीकों को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, 'इसे सच में लोगों को प्रतिनिधित्व करना चाहिए. भारत के अनुभव से कह सकता हूं कि केवल सरकार के प्रयास से यह सफल साबित नहीं हो सकता है. इसे नागरिकता के सिद्धांतों के साथ ही आगे बढ़ाया जा सकता है. लोकतंत्र के लिए कई ऐसे संस्थान भी होने चाहिए जो थिंक टैंक के तौर पर काम करे.'         

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