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विधानसभा चुनावः महाराष्ट्र में कांग्रेस और NCP के बीच सीटों के बंटवारे पर क्यों फंसा पेच?

2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान ज्यादा सीटों पर लड़ने के बावजूद कांग्रेस सिर्फ एक सीट जीत सकी, जबकि एनसीपी चार. ऐसे में महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में अब एनसीपी ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है. एनसीपी की इस चाहत ने कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और एनसीपी मुखिया शरद पवार (फाइल फोटो)
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और एनसीपी मुखिया शरद पवार (फाइल फोटो)

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2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की 48 में से 41 सीटों पर धमाकेदार जीत के बाद से कांग्रेस और एनसीपी की मुश्किलें बढ़ गई हैं. चूंकि महाराष्ट्र में साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में दोनों दलों की ओर से समय रहते गठबंधन के ढीले पेच कसने की कवायद तेज हो गई है. मगर मामला सीटों के बंटवारे को लेकर फंस गया है.

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नई दिल्ली स्थित आवास पर बीते 29 जून को महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चव्हाण पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने विधानसभा चुनाव में एनसीपी से गठबंधन पर बातचीत की. बाद में अशोक चव्हाण ने इस बात की पुष्टि की थी कि बैठक में एनसीपी के साथ गठबंधन को फाइनल करने पर चर्चा हुई, मगर यह भी कहा कि अभी सीटों का बंटवारा नहीं हुआ है.

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कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष चव्हाण ने वंचित बहुजन अघाड़ी पार्टी के साथ गठंबधन के लिए विकल्प खुले होने की बात भी कही. सूत्र बता रहे हैं कि बीजेपी-शिवसेना गठबंधन का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस-एनसीपी सिर्फ बहुजन अघाड़ी ही नहीं बल्कि राज ठाकरे की मनसे को भी अपने साथ जोड़ने की तैयारी में हैं. राज ठाकरे से एनसीपी मुखिया शरद पवार और महाराष्ट्र के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष माणिकराव ठाकरे की हालिया मुलाकातों को गठबंधन से जोड़कर देखा जा रहा है.

क्या फंसा है पेच?

सूत्र बता रहे हैं कि महाराष्ट्र में एनसीपी से अब तक गठबंधन की सूरत में हमेशा कांग्रेस ज्यादा सीटों पर लड़ी. मगर हालिया लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की तुलना में एनसीपी ने अच्छा प्रदर्शन किया. 26 लोकसभा सीटों पर लड़कर भी कांग्रेस सिर्फ 1 सीट जीत सकी, जबकि 22 सीटों पर लड़ने वाली एनसीपी 4 सीटें जीतने में सफल रही. एक सीट ओवैसी की पार्टी को मिली तो एक अन्य निर्दल के खाते में गई. अन्य 41 सीटें बीजेपी-शिवसेना ने जीतीं. सूत्रों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के एक के मुकाबले 4 सीटें जीतने वाली एनसीपी गठबंधन में बड़ी हैसियत में आना चाहती है. एनसीपी की ओर से ज्यादा सीटों की मांग ने कांग्रेस को असहज कर दिया है.

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इसलिए लोकसभा के बाद अब विधानसभा चुनाव में भी गठबंधन लगभग फाइनल हो जाने के बावजूद अब तक सीटों का बंटवारा नहीं हो सका है. अब तक गठबंधन में कांग्रेस ही बड़े भाई की भूमिका में रही है. 2014 के विधानसभा चुनाव में  कांग्रेस ने 42 और एनसीपी ने 41 सीटें जीतीं थीं. सूत्रों की मानें तो एनसीपी की दलील है कि महाराष्ट्र में कांग्रेस का जनाधार लगातार खिसक रहा है. ऐसे में गठबंधन की हालत में एनसीपी कांग्रेस के मुकाबले 21 न सही तो 19 भी नहीं रहना चाहती.

राहुल और सुप्रिया में क्या बनेगी बात?

समय के साथ कांग्रेस और एनसीपी में युवा नेतृत्व की भूमिकाएं मजबूत हुई हैं. पहले दोनों दलों में गठबंधन को लेकर बातचीत सोनिया गांधी और शरद पवार के बीच होती थी. अब गठबंधन को आगे बढ़ाने का दारोमदार कांग्रेस में जहां राहुल गांधी के कंधे पर हैं, वहीं एनसीपी में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने यह टॉस्क अपने हाथ में ले लिया है. सूत्र बताते हैं कि संसद भवन में गठबंधन को लेकर एनसीपी सांसद सुप्रिया सुले और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के बीच चर्चा हो चुकी है.

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