दिल्ली में 1 जनवरी से ऑड-इवन फॉर्मूला लागू होने जा रहा है लेकिन उससे पहले ही ये मुश्किलों में घिरता नजर आ रहा है. दिल्ली सरकार ने 15 दिनों के लिए शुरू किए इस ट्रायल से महिलाओं को छूट दी है और दोपहिया वाहनों पर इसे लागू नहीं किया है.
सरकार ने वकीलों को इस नियम से बाहर रखने से इनकार कर दिया है. दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए सवाल उठाया गया है कि महिलाओं और दोपहिया वाहनों को इससे बाहर क्यों रखा गया है?
हाई कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
इस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी.
आंकड़ों का दावा
आंकड़े बताते हैं कि ये ऑड-इवन लागू होने वाले किसी भी दिन सिर्फ 5.3 लाख गाड़ियां ही सड़कों से दूर रहेंगी. ये गाड़ियां दिल्ली में कुल वाहनों की सिर्फ 6.27 फीसदी हैं.
73.9 लाख गाड़ियों पर नियम लागू नहीं
सरकार ने 25 श्रेणियों में आने वाली गाड़ियों को इस नियम से छूट दी है, जिसके चलते 73.9 लाख गाड़ियां रोजाना सड़कों पर दौड़ेंगी. इनमें 55.7 लाख दोपहिया वाहन हैं, जो दिल्ली में प्रदूषण बढ़ाने (32 फीसदी) का बड़ा कारण हैं. यानी जिन गाड़ियों पर ये नियम लागू होता है, उनके मुकाबले छूट वाली गाड़ियों की संख्या कई गुना ज्यादा है. विशेषज्ञों का कहना है कि इतनी बड़ी संख्या में गाड़ियों को छूट देने से ऑड-इवन फॉर्मूले का उद्देश्य ही निष्फल हो जाएगा.
इन गाड़ियों पर नियम लागू नहीं
CNG वाहनों पर नियम लागू नहीं होगा. CNG वाहनों पर लगाना होगा स्टीकर. राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, लोकसभा स्पीकर, राज्यसभा स्पीकर, डिप्टी स्पीकर, केंद्रीय मंत्रियों, विपक्षी दलों के सांसदों और सुप्रीम कोर्ट के जजों की गाड़ियों पर ये नियम लागू नहीं होंगे. लेफ्टिनेंट गवर्नरों की गाड़ियों पर भी ये नियम लागू नहीं किया जाएगा.एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड, पुलिस, ट्रांसपोर्ट पुलिस, पैरामिलिट्री फोर्स और एंबेसी की गाड़ियों को इस नियम से बाहर रखा गया है.
पुरानी गाड़ियां पहले ही बैन
परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार दिल्ली में पहले ही 15 साल पुरानी पेट्रोल कारों(8 लाख) और 10 साल पुरानी डीजल कारों(1.5 लाख) कारों पर बैन लगा चुकी है. इसलिए 15 दिनों के ट्रायल के दौरान ये गाड़ियां भी सड़कों पर नहीं उतरेंगी.