मोदी सरकार ने अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का दौरा खत्म होते ही विदेश सचिव सुजाता सिंह की छुट्टी कर दी जबकि उनके रिटायरमेंट में अभी आठ महीने बाकी थे. इसके साथ ही यह सवाल उठने लगे कि आखिर सुजाता सिंह ने ऐसा क्या किया कि उनकी असमय ही छुट्टी हो गई.
अपुष्ट खबरों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सुजाता सिंह के रवैये और उनकी कार्य प्रणाली से नाखुश थे. अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक इस बाबत उन्होंने अपनी नाखुशी कई बार जाहिर की थी. उनके हटाए जाने के बारे में कई बार चर्चा हुई लेकिन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज उनका पक्ष लेती रहीं. ओबामा का दौरा खत्म होने के बाद यह फैसला किया गया कि उन्हें पद से हटा दिया जाए. मोदी चाहते थे कि अमेरिका में बेहतर काम कर रहे एस जयशंकर विदेश सचिव बनें. उन्होंने ही वाशिंगटन में रहकर ओबामा-मोदी बैठकों के लिए जमीन तैयार की.
सरकार का मानना है कि जयशंकर के आने से विदेश मंत्रालय में काम काज तेजी से होने लगेगा. पिछले छह महीनों से सरकार ने राजदूत पद पर किसी की नियुक्ति नहीं की. कहा जाता है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने उन सभी अनुशंसाओं को रोके रखा था ताकि नए विदेश सचिव के आने के बाद फैसले हो सकें. अब उम्मीद है कि इस तरह के तमाम रुके हुए फैसले हो सकेंगे.
एक और अंग्रेजी अखबार द हिन्दू ने सरकारी सूत्रों के हवाले से कहा है कि सुजाता सिंह ने खुद ही स्वैच्छिक रिटायरमेंट का फैसला किया. इसमें कोई आश्चर्यजनक बात नहीं है. लेकिन विदेश सचिव को आनन-फानन में हटाने के बाद कांग्रेस सक्रिय हो गई है और मनीष तिवारी ने ट्विट करके इस मामले में सरकार से सफाई मांगी है.
अखबारों के मुताबिक जयशंकर पहले भी विदेश सचिव पद के दावेदार थे और मनमोहन सिंह उन्हें ही चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं हो सका. एक अंग्रेजी अखबार का दावा है कि भले ही मनमोहन जयशंकर को विदेश सचिव बनाना चाहते थे लेकिन सोनिया गांधी चाहती थीं कि सुजाता विदेश सचिव बनें. सुजाता सिंह के पिता पूर्व आईबी चीफ और उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल टीवी राजेश्वर हैं और बताया जाता है कि उनकी काफी चलती थी. जयशंकर के रिटायर होने मे सिर्फ एक ही दिन था लेकिन अब वह दो साल तक के लिए इस पद पर बने रहेंगे.