जर्मनी की 30 वर्षीया हन्नाह बैकमियर भारत की राजधानी दिल्ली में हर बार अपने होटल के कमरे से निकलने के बाद अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हो जाती हैं. वे दिल्ली में 16 दिसंबर को हुए भयानक गैंगरेप के तुरंत बाद अपनी तीन सहेलियों के साथ यहां पहुंची थीं. उस समय समूचा देश आक्रोश व सदमे के गिरफ्त में था.
शहर की महिलाओं में असुरक्षा की भावना का असर उन पर भी पड़ा. उनकी एक दोस्त कुछ ही हफ्ते यहां ठहरने के बाद वतन वापस लौट गई. दिल्ली के पहाड़गंज इलाके में ठहरी बैकमीयर ने बताया, ‘जब हम सब यहां पहुंचे उस समय सारे समाचारपत्र गैंगरेप की खबर से भरे थे. मेरी दोस्त इतनी डरी थी कि वह वापस घर लौट गई.’
बैकमियर की दोस्त निकोला ब्राउर कहती हैं, ‘हमने यहां रहने का फैसला लिया. संयोग से हमारे साथ कोई अनहोनी नहीं हुई.’
इसी तरह न्यूजीलैंड की सांद्रा पोर्टमैन ने बताया, ‘मैं अक्सर भारत आती हूं. उत्तरी भारत के शहर दिल्ली, हरिद्वार और पुष्कर मेरी पसंदीदा जगह हैं. लेकिन दिल्ली गैंगरेप के बाद मेरे लिए सही मायने में चीजें बदल चुकी हैं.’
पहाड़गंज में ठहरी पोर्टमैन कहती हैं, ‘जब मैं दिल्ली में रहती हूं तो सूर्यास्त के बाद बाहर निकलने की दुस्साहस नहीं करती हूं. मैं सब पर शक करती हूं चाहे वह होटल का कोई लड़का हो या ऑटो ड्राइवर.’
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में एमए में दर्शन शास्त्र का अध्ययन कर रही केन्या की अदला ओडुबा के मुताबिक रोड पर यौन प्रताड़ना और भद्दी टिप्पणी उनके लिए रोज का मामला है, लेकिन अब वह काफी डर महसूस करती हैं. वह कहती हैं कि दिल्ली के पुरुष आम तौर पर विदेशी छात्रा को 'आसान शिकार' समझते हैं.
दक्षिणी दिल्ली के ग्रीन पार्क में अपनी बहन के साथ रहने वाली ओडुबा कहती हैं, ‘वे लोग समझते हैं कि हम लोग हमेशा उपलब्ध हैं. मकान मालिक से फेरीवाले तक, सब की एक ही कहानी है.’ राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार पिछले साल दिल्ली में 650 दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए.
सैलानियों का मानना है कि सख्ती से निगरानी करने से पुलिस बहुत बदलाव ला सकती है. यूक्रेन की राजिया अब्रामोव ने गैंगरेप पर कहा, ‘यह दुखद सच्चाई है. सभी बड़े शहर रेप के वारदात से त्रस्त हैं, जहां जरूरत है वहां एहतियात बरतें.’