कहते हैं कि गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊपर होता है. तभी तो अपने गुरु की गिरती सेहत का हाल सुनकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेचैन हो उठे और आनन-फानन में गुरु से मिलने का कार्यक्रम बना डाला. प्रधानमंत्री शुक्रवार को अपने आध्यात्मिक गुरु स्वामी दयानंद गिरि सरस्वती से भेंट करने ऋषिकेश जा रहे हैं. हम आपको बताते हैं कि दयानंद गिरि प्रधानमंत्री मोदी के लिए क्यों इतने खास हैं.
16 साल पुराना रिश्ता
स्वामी दयानंद सरस्वती और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रिश्ता बहुत पुराना है. सोलह साल पहले भी नरेंद्र मोदी ऋषिकेश के दयानंद आश्रम में आए थे. जब जब भी मोदी के सामने कोई मुश्किल
समस्या आई, तब-तब उन्होंने गुरु से ज्ञान लिया.
गांधीनगर बुलाकर किया था स्वागत
नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने बड़े आदर के साथ अपने गुरु दयानंद गिरि को गांधीनगर बुलाकर उनका स्वागत किया था.
मोदी के जीवन पर गहरा प्रभाव
86 साल स्वामी दयानंद सरस्वती की सबसे बड़ी खूबी ये है कि वो वेदांत के जरिए आज की समस्याओं का भी निदान निकाल लेते हैं. इसके चलते एक तरफ वो परंपराओं की डोर थामे रहते हैं
तो वहीं आधुनिकता भी उनके विचारों को महकाती है. यही वजह है कि मोदी के जीवन पर स्वामी दयानंद का गहरा प्रभाव है. नरेंद्र मोदी को जब जब वक्त मिला, तब तब उन्होंने अपने गुरु के सान्निध्य में समय बिताया.
संयुक्त राष्ट्र से मिला अवॉर्ड
स्वामी दयानंद गिरि ऋषिकेष में दयानंद सरस्वती आश्रम और कोयंबटूर में अर्श विद्या गुरुकुलम के संचालक हैं. उनके आश्रम से देशभर में सौ से ज्यादा शिक्षा के केंद्र चलाए जाते हैं. अमेरिका के पेंसिलविनिया में भी आश्रम का एक केंद्र है. स्वामी दयानंद ने 2000 में ऑल इंडिया मूवमेंट फॉर सेवा संस्था की भी नींव रखी थी. शिक्षा और सेहत के लिए बेहतरीन काम करने के चलते दयानंद आश्रम को साल 2005 में संयुक्त राष्ट्र की तरफ से अवॉर्ड भी मिला है.